रायपुर। प्रदेश की नामी पीआर कंपनी कंसोल और जनसंपर्क अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है. आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग में दर्ज मामले के मुताबिक जनसंपर्क अधिकारियों ने 2016-2018 के बीच सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए टेंडर किया था. लेकिन ठेके की शर्तों में बदलाव कर कंसोल ग्रुप को करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया. एफआईआर में बतौर आरोपी किसी व्यक्ति के बजाय कंसोल का ही नाम है.

दर्ज एफआईआर के अनुसार, 2016 में जनसंपर्क से सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए तीन तरह के टेंडर निकले गए. बल्क एमएमएस, वाइस कॉल और एसमएस के माध्यम से प्रचार के लिए. टेंडर खुलने पर कंसोल ग्रुप एल-3 था, याने दो और समूहों ने टेंडर डाला. जनसंपर्क ने टेंडर खुलने के बाद इसमें शामिल होने वाली तीनों कंपनियों को विकल्प दिया कि वे तीनों एल-1 की दर से प्रचार प्रसार करें, तीनों राजी हो गईं. जांच में खुलासा हुआ है कि जनसंपर्क अधिकारियों ने केवल कंसोल को ही काम सौंपा और करीब 2 करोड़ 51 लाख का भुगतान किया.

2017 में एसएमएस से प्रचार के लिए टेंडर निकाला गया. इस बार कंसोल ने हिस्सा ही नहीं लिया. अधिकारियों ने टेंडर खुलने के बाद उसे निरस्त कर दिया. फिर नए सिरे से टेंडर निकला गया, इस बार सिर्फ कंसोल ने टेंडर जमा किया. इकलौता टेंडर होने के बावजूद कंसोल को टेंडर दे दिया गया. जांच में पता चला कंसोल को जिस दर पर ठेका मिला, उससे कम पर दूसरी कंपनी तैयार थी. फिर भी कंसोल को करीब 2 करोड़ का भुगतान हुआ. ईओडब्ल्यू अब यह जांच कर रही है कि इस घोटाले में कौन-कौन जिम्मेदार शामिल हैं.