
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी (Imran Pratapgarhi) को सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पर एक कविता साझा करने के मामले में उनके खिलाफ दर्ज FIR को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “कविता, कला और व्यंग्य जीवन को समृद्ध बनाते हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है. पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए.” यह निर्णय जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि निर्णय लेते समय मजबूत और स्पष्ट दृष्टिकोण वाले व्यक्तियों के मानकों का उपयोग किया जाना चाहिए, न कि उन लोगों के मानकों का जो कमजोर हैं और हर स्थिति को खतरे या आलोचना के रूप में देखते हैं. यदि पुलिस मौलिक अधिकारों की सुरक्षा में असफल होती है, तो अदालतों का दायित्व है कि वे हस्तक्षेप करें और इन अधिकारों की रक्षा करें. विचारों का सम्मान और उनकी सुरक्षा आवश्यक है, क्योंकि विचारों और दृष्टिकोण की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित सीमाएं लगाई जा सकती हैं, लेकिन ये सीमाएं नागरिकों के अधिकारों का दमन करने के लिए अनुचित और काल्पनिक नहीं होनी चाहिए. कविता, नाटक, संगीत और व्यंग्य जैसे कला के विभिन्न रूप मानव जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाते हैं, और इसलिए लोगों को इन माध्यमों के जरिए अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करने का अधिकार होना चाहिए.
जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली पीठ ने इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात के जामनगर में दर्ज मामले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया है. 3 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इमरान की याचिका पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था. इससे पहले, गुजरात हाई कोर्ट ने 17 जनवरी को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका को खारिज कर दिया था.
क्या आरोप लगे थे?
गुजरात के जामनगर में इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ एक एडिटेड वीडियो के साथ उत्तेजक गाना पोस्ट करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है. कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने इस मामले में दावा किया है कि गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ जानबूझकर FIR दर्ज की है. इस FIR में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इमरान द्वारा साझा की गई 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में उन पर फूलों की वर्षा की जा रही थी, जबकि बैकग्राउंड में एक आपत्तिजनक गाना बज रहा था. आरोप है कि इस गाने के बोल उत्तेजक, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले हैं.
‘विचारों को भले नापसंद करते हों…’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि भले ही कई लोग दूसरों के विचारों से असहमत हों, फिर भी विचारों की अभिव्यक्ति के अधिकार का सम्मान और सुरक्षा आवश्यक है. साहित्य, जिसमें कविता, नाटक, फ़िल्म, व्यंग्य और कला शामिल हैं, लोगों के जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाता है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक