अमित पांडेय, खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में एक शासकीय स्कूल में पेंटिंग के दौरान अचानक आग लग गई. इस घटना में एक नाबालिग समेत 5 मजदूर बुरी तरह झुलस गए. इस घटना के सामने आने से बाल श्रम मामले में शिक्षा विभाग और निर्माण एजेंसी की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यह पूरा मामला छुईखदान विकासखंड के कुम्हरवाड़ा पंचायत अंतर्गत ग्राम बसंतपुर के शासकीय स्कूल का है.

जानकारी के अनुसार, स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग के लिए उपयोग किए जा रहे तारपीन तेल में अचानक आग लग गई. आग की चपेट में आकर तोरण पोर्ते (22), गौतम नेताम (20), अश्वंत (19), सूरज नेताम (18), और तारन नेताम (15) झुलस गए. सभी मजदूर मजगांव के निवासी हैं और आदिवासी समुदाय से आते हैं.

प्राथमिक उपचार के लिए उन्हें साल्हेवारा स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां से उन्हें छुईखदान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर किया गया. राहत की बात यह है कि सभी की स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है.

शिक्षा विभाग की चुप्पी, ठेकेदार पर सवाल

स्थानीय सूत्रों की मानें तो यह काम राजनांदगांव के ठेकेदार मुकेश तिवारी द्वारा कराया जा रहा था. सबसे गंभीर बात यह है कि पेंटिंग जैसे ज्वलनशील कार्य में सुरक्षा मानकों की पूरी तरह से अनदेखी की गई. बिना किसी सुरक्षा उपायों के साथ मजदूरों से काम कराया जा रहा था और एक नाबालिग से शारीरिक श्रम कराना बाल श्रम कानून का स्पष्ट उल्लंघन है.घटना के बाद शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और अब तक किसी प्रकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. न तो ठेकेदार से जवाब लिया गया और न ही काम के निरीक्षण या अनुमति से जुड़ी कोई जानकारी दी गई,घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है. उनका कहना है कि यदि स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग सतर्क रहते तो यह दुर्घटना टाली जा सकती थी. ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.

यह हादसा शिक्षा विभाग,निर्माण एजेंसियों और प्रशासन के बीच समन्वयहीनता का परिणाम है. एक ओर जहां शासन “स्कूल चले हम” जैसे अभियान चला रहा है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों को ही लापरवाही की आग में झोंक दिया जा रहा है. इस मामले में यदि समय रहते जवाबदेही तय नहीं की गई, तो यह सिस्टम में गहरी सेंध को दर्शाता है.