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सुधीर सिंह राजपूत, मिर्जापुर. जिले के अंतिम छोर पर स्थित ड्रमंडगंज वन रेंज के महोगढ़ी वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट नंबर दो के अलमी घाट जंगल में गुरुवार को संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई. पहाड़ से धुआं सुलगता देख ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम जंगल में पहुंचकर आग बुझाने में जुट गई है.
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तेज हवाओं के चलते ये आग जंगल में फैल गई. वन रक्षक अनादि नाथ तिवारी ने बताया कि आग संभवतः चरवाहों के बीड़ी पीकर फेंकने या मधुमक्खी के छत्तों से रात में शहद निकालने के लिए जंगल में आए लोगों द्वारा धुआं सुलगाने के लिए लगा दी गई. वनकर्मियों के साथ आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है. तेज हवाओं के चलने और धुआं का गुबार होने से आग बुझाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है. देर शाम तक आग पर पूरी तरह काबू पा लिया जाएगा.
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जंगल में आग संयोग या साजिश
इस आग ने एक बार फिर वनों की सुरक्षा और वनों में तैनात किए गए वाचर की कार्यप्रणाली और उपयोगिता पर सवाल खड़े किए हैं. बड़ा सवाल यह है कि हर बार आग लगने की घटना में ग्रामीण ही सूचना देते हैं और आगे आते हुए आग को बुझाने कि जतन करते हैं. जबकि कहने को तो वनों की सुरक्षा के लिए भारी भरकर तैनाती की गई है. वनों की सुरक्षा के नाम पर इनको भ्रमण करते हुए भी दिखाया जाता है तो भला आग कब और कैसे लग जाती है? और इनकी जगह पर ग्रामीणों के द्वारा ही आग लगने का पता क्यों चलता है?
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