दिवाली पर जमकर हुई आतिशबाजी ने कई शहरों की आबोहवा बिगाड़ कर रख दी है. हालत ये हो चुकी है कि दिल्ली-एनसीआर का एक्यूआई लेवल सामान्य से करीब दस गुणा खराब हो चुका है. आसामान में जलते पटाखों की वजह से प्रदूषण स्तर अचानक खतरनाक हो चुका है. कहा जा रहा है इसका असर ये होगा कि आने वाले दिनों में राजधानी की हवा और भी जहरीली हो जाएगी.

बीती रात दिल्ली में पटाखों का शोर कम था लेकिन प्रदूषण का जोर ज्यादा रहा. दीवाली की शाम आनंद विहार का AQI-398 ‘बहुत खराब’ जबकि, दिवाली से 1 दिन पहले आनंद विहार का AQI – 375 ‘बहुत खराब’ था. मंगलवार की सुबह सरकारी बेवसाइट पर दिख रहे 40 से ज्यादा मॉनिटरिंग स्टेशनों के देखने से यह पता चलता है कि नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स, इनमें से ज्यादातर का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडैक्स) Very Poor (301-400) के बीच रहा. इसकी वजह से सांस की समस्या बढ़ सकती है. मतलब ये भी हुआ कि अति गंभीर (severe 401-500) से महज एक कदम पीछे है, जिससे स्वस्थ लोगों के सेहत और पहले से बीमार लोगों पर गंभीर असर कर सकता है.

दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ी आबोहवा
दिवाली की रात प्रदूषण का स्तर बढ़ गया और बेहद खराब श्रेणी तक पहुंच गया. दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी खराब श्रेणी में पहुंच गई है. इससे ज्यादा खतरनाक हाल तो नोएडा का रहा, जहां हवा में प्रदूषण का स्तर गंभीर की श्रेणी में पहुंच गया. बीती रात नोएडा धुंध की चादर में लिपटा रहा.

शहर की ऊंची ऊंची इमारतें स्मॉग की चादर में लिपटी दिखीं. दिवाली की शाम नोएडा का AQI – 342 ‘बहुत खराब’ था. जबकि दिवाली से 1 दिन पहले नोएडा का AQI – 309 ‘बहुत खराब’ था. वहीं दावा है कि आज नोएडा में AQI 400 के पार जा सकता है. यानी वायु प्रदूषण गंभीर की कैटेगरी में पहुंच जाएगा.

वायु गुणवत्ता का स्तर

अब आपको बताते हैं कि AQI किस कैटेगरी में पहुंचने से आपकी सेहत पर असर डाल सकता है.  शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है.  वहीं 51 से 100 को ‘संतोषजनक’ माना गया है. जबकि 101 से 200 को ‘मध्यम’ और 201 से 300 को ‘खराब’ की कैटेगरी में रखा गया है. अगर किसी शहर का AQI 301 से 400 के बीच है तो समझिए वहां की हवा ‘बहुत खराब’ हो चुकी है. और 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है.

सर्दी की दस्तक के साथ ही देश के बड़े शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब होने लगती है. पॉल्यूशन की सबसे ज्यादा मार राजधानी दिल्ली पर पड़ती है जहां हवा में जहर इस कदर घुल जाता है कि लोगों के लिए सांसे लेना मुश्किल हो जाता है. दीपावली पर भी जो पटाखे चलाए जाते हैं उससे भी हवा में प्रदूषण तेजी से बढ़ता है.