कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह पार्टी की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा द्वारा देवी काली पर हालिया टिप्पणी मामले में देश के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की कोई जिम्मेदारी नहीं लेगी.
महुआ मोइत्रा की ओर से हाल ही में देवी काली पर की गई विवादास्पद टिप्पणी को लेकर पार्टी ने खुद को इस मामले से और दूर कर लिया है. इससे पहले पार्टी ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि मोइत्रा ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं, जिसका पार्टी से कोई सीधा संबंध नहीं है.
पार्टी की ओर से तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तीन बार के लोकसभा सदस्य सौगत रॉय ने एक बयान जारी कर कहा कि प्राथमिकी से निपटने की जिम्मेदारी मोइत्रा की है न कि पार्टी की. बयान में कहा गया है, “जहां तक टीएमसी का सवाल है, पार्टी फिल्म ‘काली’ के पोस्टर को मंजूरी नहीं देती है, यह हमारे लिए अस्वीकार्य है. हम इस मामले पर महुआ मोइत्रा के बयानों को भी स्वीकार नहीं करते हैं. यह हमारी पार्टी की आधिकारिक स्थिति है. हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष है, यह सभी धर्मों का सम्मान करती है. जहां तक प्राथमिकी का सवाल है, यह महुआ मोइत्रा पर है कि वह इस पर ध्यान दें. जब तक भाजपा पैगंबर के खिलाफ नूपुर शर्मा की टिप्पणियों के लिए कार्रवाई नहीं करती, उन्हें किसी और के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है.”
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और पश्चिम बंगाल के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने मीडियाकर्मियों से कहा है कि चूंकि मोइत्रा द्वारा व्यक्त की गई राय उनके निजी विचार हैं, इसलिए पार्टी इस मामले में कोई जिम्मेदारी नहीं लेगी. यह घटनाक्रम स्वाभाविक रूप से इस सवाल को तूल दे रहा है कि क्या यह तृणमूल कांग्रेस के साथ मोइत्रा के जुड़ाव के अंत की शुरूआत है? ऐसा सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि मोइत्रा पहले भी कई मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ स्टैंड ले चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट को भी अनफॉलो कर दिया है. देवी काली के बारे में उनकी टिप्पणियों पर पार्टी नेतृत्व द्वारा उनकी निंदा किए जाने के तुरंत बाद ट्विटर हैंडल को अनफॉलो किया गया था.
मोइत्रा हालांकि इस सवाल पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को उनका अनफॉलो करना इस मुद्दे पर उनका अपनी पार्टी के खिलाफ एक प्रकार का गुपचुप विरोध है.
मोइत्रा के बयान को बीजेपी पहले ही बड़ा मुद्दा बना चुकी है. पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा, भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए हैं. पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता ने मोइत्रा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी चेतावनी दी है.
हालांकि, मोइत्रा ने अपने रुख से हटने से इनकार कर दिया है और इसके बजाय बीजेपी को उन्हें गलत साबित करने की चुनौती दी है. चारों तरफ से विवादों में घिरी महुआ ने कहा है कि वह किसी से नहीं डरतीं. उन्होंने यहां तक कहा कि वह ऐसे भारत में नहीं रहना चाहतीं जहां बोलने की आजादी नहीं है.
उन्होंने अपने हालिया ट्विटर संदेश में कहा है, “मैं ऐसे भारत में नहीं रहना चाहती, जहां भाजपा की पितृसत्तात्मक ब्राह्मणवादी सोच हावी हो और सभी धर्म के आस-पास घूमते रहें. मैं मरते दम तक अपने बयान पर कायम रहूंगी. तुम अपनी एफआईआर दर्ज कर लो, कोर्ट में मिलूंगी.”