First Chief Minister Ajit Jogi Jayanti Special : गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. आज छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी का 77वीं जयंती है. जोगीजी का जन्म 29 अप्रैल 1946 को हुआ था. छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव की मिट्टी में पले बढ़े पढ़े बालक ने भारत की राजनीतिक क्षितिज पर अपनी अद्भुत चमक बिखेरी. भारत में छत्तीसगढ़ की पहचान बनाने में धान का कटोरा और अजीत जोगी का नाम सर्वोपरि है.

भारत में छत्तीसगढ़ प्रदेश की पहचान स्थापित करने में जिन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उनमें छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व.अजीत जोगी अग्रगण्य हैं. स्व. अजीत जोगी का व्यक्तित्व विलक्षण था. एक प्रशासक, शासक, राजनेता, लेखक, रचनाकार, विचारक, चिंतक, खेलप्रेमी, अदम्य साहस प्रबल इच्छाशक्ति जैसी अनेक विविधताएं एक व्यक्तित्व में समाहित थी. अध्ययन में गहरी रुचि रखने वाले स्व.जोगी की स्मरण शक्ति अद्भुत थी.

तत्कालीन मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ प्रदेश के गौरेला में 29 अप्रैल 1946 को एक साधारण अध्यापक दंपत्ति के परिवार में अजीत जोगी का जन्म हुआ और 29 मई 2020 को निधन हुआ. इस बीच की जीवन यात्रा में अजीत जोगी ने अनेक कीर्तिमान गढ़े और अपना नाम अजीत को सार्थक किया. आरंभ से ही अजीत को चुनौतियां देने और चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता था.

चुनौतियों को अवसर में बदलने की कला में पारंगतों की सूची में छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी का नाम अवश्य रहेगा. पिता से शिकार के दांव पेंच की कला बाल्यकाल में ही सीखकर अजीत जोगी ने इनका प्रयोग अपने राजनीतिक जीवन में भरपूर किया. शिकारी की भांति घात लगाना वार करना और शिकार करना अजीत जोगी की जीवनशैली का अविभाज्य अंग है. अजीत जोगी की संकल्प शक्ति उन्हें अपराजेय बनाती थी.

भोपाल के प्रतिष्ठित मौलाना अबुल कलाम आजाद यांत्रिकी महाविद्यालय से इंजीनियरिंग में सर्वोच्च अंक अर्जित करने में स्थापित कीर्तिमान आज भी उनके नाम पर यथावत है. इसके बाद इंजीनियरिंग कालेज में व्याख्याता, आईपीएस, आईएएस में चयनित होकर लगातार तेरह वर्षों तक कलेक्टर पद पर कार्य करने का भी दुर्लभ कीर्तिमान अजीत जोगी के ही नाम है. भारतीय प्रशासनिक सेवा जैसी आकर्षक सेवा त्याग कर राजनीति में प्रवेश किया और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए.

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता का दायित्व संभालते हुए भारत में अच्छी ख्याति अर्जित की. राजनीति में उन्होंने बहुत से मित्र और शुभचिंतक बनाए. वहीं राजनैतिक शत्रुता भी पूरी शिद्दत से निभाई. इस कला का प्रयोग उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू स्व. अर्जुन सिंह पर भी किया. अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने में कभी संकोच नहीं करते थे. चाहे कोई प्रशंसा करे या आलोचना, कांग्रेस से इतर भी उनके घनिष्ठ मित्रों की संख्या पर्याप्त थी तो शत्रु भी कम न थे.

छत्तीसगढ़ का गठन हुआ तो अपनी जोड़ तोड़ के गणितीय ज्ञान का भरपूर उपयोग कर अजीत जोगी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने और राज्य के लिए ऊंचे सपने देखे. उन्हें सपनों का सौदागर भी कहा जाता है. मुख्यमंत्री की पारी छोटी रही किंतु पूरे भारत का ध्यान आकर्षित किया. 2003 के विधानसभा चुनावों में असफलता उनके जीवन का अंधकार भरा पक्ष है और उनके विरोधियों ने खुलकर वार किया. लोकसभा चुनाव में महासमुंद से चुनाव लड़ते हुए चुनाव की जंग तो जीत गए मगर कार दुर्घटना में अपने पैरों पर खड़े न हो सके. इसके साथ ही उनके अदम्य साहस और इच्छशक्ति भी संसार ने देखी और उन्होंने जीते जी कभी हार नहीं मानी. भूपेश बघेल से राजनैतिक शत्रुता के कारण कांग्रेस छोड़कर नये क्षेत्रीय दल का गठन किया और अपने कौशल से विधानसभा की पांच सीटों पर पार्टी ने सफलता प्राप्त की.

अपने जीवन में अनेक बार मौत से संघर्ष कर जीवन निकाल लेने वाले इस अदम्य साहसी को अंततः मौत से पराजित होना पड़ा. जब वो अपने निवास में टहलत रहे थे तब उनके ही आवास के एक वृक्ष की गंगाइमली का बीज गले में फंस गया और अंततः 29 मई 2020 को छत्तीसगढ़ के इस अपराजेय योद्धा ने अंतिम सांस ली. प्रदेश और देश में अजीत जोगी के निधन से शोक छा गया और एक युग विशेष का अंत हो गया.

अजीत जोगी पूरे जीवन वंचितों के लिए संघर्ष करते रहे और वंचित जन भी उन्हें अपने दिल में बसाकर रखते थे. राजनीति के क्षितिज में उड़ते हुए भी अजीत जोगी का अपनी माटी से अभिन्न जुड़ाव रहा और निधन के उपरांत उनकी देह भी अपने जन्मस्थान गौरेला की मिट्टी में ही मिलकर एकाकार हो गई.