Hindenburg Research Company Shut down: अडानी ग्रुप (Adani Group) से पंगा लेने वाले हिंडनबर्ग रिसर्च का शटर डाउन हो गया है। अमेरिकी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) ने बुधवार रात (15 जनवरी) को X पर एक भावुक पोस्ट करते हुए इसके बंद करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही अब किसी किसी कंपनी या दिग्गज रईस को लेकर कोई खुलासा हिंडनबर्ग नहीं करेगा। दरअसल इस खुलासे के पीछे हिंडनबर्ग का शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) से मोटी कमाई करने का ‘हिडन’ मंसूबा रहता था। हिंडनबर्ग भारत के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी, सेबी चीफ माधुरी पुरी बुच समेत कई विदेशी हस्तियां इसकी शिकार बना चुका है। हालांकि कंपनी के फाउंडर ने इसे अब बंद करने का ऐलान किया है। ऐसे में आइए हिंडनबर्ग का ‘हिडन’ मंसूबे को समझते हैं…
आपको पहले बता दें कि हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है, जो इस तरह के आरोप लगाकर बाजार में शॉर्ट सेलिंग कर मुनाफा कमाने का काम करती है। इस कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन हैं। कंपनी का काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है। इस रिसर्च के जरिए कंपनी पता लगाती है कि क्या स्टॉक मार्केट में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है? इसे लेकर रिसर्च रिपोर्ट जारी करती है।
इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग कंपनी भी है। कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और इसके जरिए अरबों रुपये की कमाई करती है। शॉर्ट सेलिंग एक तरह की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है। इसमें कोई किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदी जाती है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे उसे जोरदार फायदा होता है।
शॉर्ट सेलिंग के खेल को समझें
ये कंपनी शॉर्ट सेलर रूप में मोटी कमाई करती है। शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशक उन स्टॉक्स को उधार लेते हैं जिन्हें वे उम्मीद करते हैं कि उनकी कीमत गिर जाएगी और फिर उन्हें बेच देते हैं। जब स्टॉक की कीमत गिर जाती है तो वे उन्हें वापस खरीदते हैं और उधारदाता को लौटाते हैं, जिससे उन्हें लाभ होता है। उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा। इसी उम्मीद में वो दूसरे ब्रोकर्स से इस कंपनी के शेयर उधार के तौर पर ले लेता है। ऐसा करने के बाद शॉर्ट सेलर इन उधार लिए गए शेयरों को दूसरे निवेशकों को बेच देता है, जो इसे 200 रुपये के भाव से ही खरीदने को तैयार बैठे हैं। जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है तो शॉर्ट सेलर उन्हीं निवेशकों से शेयरों की खरीद करता है। गिरावट के समय में वो शेयर 100 रुपये के भाव पर खरीदता है और जिससे उधार लिया था उसे वापस कर देता है। इस हिसाब से उसे प्रति शेयर 100 रुपये का जोरदार मुनाफा होता है। इसी रणनीति के तहत हिंडनबर्ग कंपनियों को शॉर्ट कर कमाई करती है।
शॉर्ट सेलिंग से इस तरह कमाते हैं इन्वेस्टर
इस मामले में शॉर्ट सेलर ने टारगेट कंपनी के हर शेयर पर 100 रुपये की कमाई की। उसने जिन शेयरों को 500 रुपये के भाव पर उधार लिया था, वे शेयर लौटाने के लिए उसे सिर्फ 400 रुपये में मिल गए। यानी हर शेयर पर 100 रुपये का मुनाफा। इस तरह उसने एक सप्ताह में सिर्फ 100 शेयरों को शॉर्ट कर 10,000 रुपये का मुनाफा बना लिया। हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के मामले में पहले शेयरों पर शॉर्ट पोजिशन लिया और उसके बाद भाव गिराने के लिए उसने विवादास्पद रिपोर्ट जारी की। इसे दूसरे शब्दों में ऐसे भी कहा जा सकता है कि उसने अपनी कमाई के लिए जान-बूझकर अडानी के शेयरों के भाव को गिराया।
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फायदे के साथ इस खेल में जोखिम भी ज्यादा
जैसा कि बताया कि Short Selling में शेयरों को शॉर्ट करके पैसा कमाया जाता है लेकिन जोरदार मुनाफा कमाने के साथ ही ये तरीका जोखिम भरा भी है और अगर दांव उल्टा पड़ जाता है, तो शॉर्ट सेलर को जोरदार घाटा उठाना पड़ता है। इस तरीके को बाजार की सेहत के लिए खराब माना जाता है। दरअसल, अगर इस तरीके में निवेश करने से निवेशकों के पैसे डूबते हैं, तो उनके बाजार से दूरी बनाने के चांस बन जाते हैं, जिसका असर मार्केट ग्रोथ पर भी पड़ता है।
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2023 में अदाणी और 2024 में सेबी पर रिपोर्ट
बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्टों ने भारत के अडाणी ग्रुप और इकान इंटरप्राइजेज सहित कई कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। वहीं पिछले साल अगस्त महीने में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अदाणी समूह से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है।
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साल 2024: SEBI चीफ पर अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी का आरोप लगाया था
अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था SEBI सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के पास अडाणी ग्रुप के जरिए पैसों की हेराफेरी स्कैंडल में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी थी। डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने कहा था कि बुच और उनके पति धवल बुच के पास एक ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। जिसमें गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने काफी मात्रा में पैसा लगाया था। विनोद, अडाणी ग्रुप की कंपनियों के चेयरमैन हैं।
आखिर क्यों लिया हिंडनबर्ग बंद करने का फैसला?
गौतम अडानी, माधबी पुरी बुच से लेकर डैक डोर्सी और तमाम बड़ी कंपनियों को निशाना बनाकर तगड़ा कमाई करने के बाद आखिर ऐसा क्या हुआ कि नाथन एंडरसन ने इस शॉर्ट सेलिंग फर्म को बंद करने के फैसला लिया। इसके बारे उन्होंने अपनी पोस्ट में खुद ये स्पष्ट किया कि Hindenburg को बंद करने का फैसला एक बेहद व्यक्तिगत निर्णय था। उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई एक खास बात नहीं है, न ही कोई खास खतरा दिखाई देता है।
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