अमित पांडेय, खैरागढ़। खैरागढ़ जिले में पटवारियों की छवि पर लगातार दाग गहराता जा रहा है। कल ही जिला पटवारी संघ अध्यक्ष धर्मेंद्र कांडे एसीबी की जाल में फंसकर 9 हजार की रिश्वत लेते पकड़े गए थे और आज गंडई तहसील से एक और हैरान करने वाला मामला सामने आ गया। ग्राम बागर गंडई के किसान भगवती साहू ने आरोप लगाया है कि माता-पिता के निधन के बाद वह अपनी पैतृक जमीन और घर पर नाम चढ़वाने के लिए पटवारी होमलाल धुर्वे के पास पहुंचा था। उसने बाकायदा 8 अगस्त को आवेदन भी जमा किया, लेकिन महीनों से चक्कर काटने के बाद भी उसका काम आगे नहीं बढ़ा। किसान का कहना है कि जब वह दफ्तर पहुंचा तो पटवारी के सहायक आशीष ने उसके दस्तावेज फाड़ दिए और साफ-साफ कह दिया कि बिना पैसे कोई हस्ताक्षर नहीं होंगे।

गरीब किसान की मजबूरी यह है कि वह पेंटिंग का काम कर रोज़ाना लगभग 250 रुपये ही कमाता है। अब तक वह 5 से 6 हज़ार रुपये सिर्फ तहसील दफ्तर के चक्कर लगाने में खर्च कर चुका है, लेकिन काम की जगह उसे सिर्फ़ अपमान और रिश्वतखोरी का सामना करना पड़ा। निराश होकर भगवती साहू विधायक यशोदा वर्मा के पास पहुँचा। विधायक से मुलाकात के दौरान उसने अपना दुख कैमरे पर बयां किया। यह वीडियो विधायक के मीडिया ग्रुप में डाला गया और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वायरल वीडियो में किसान साफ कहता दिख रहा है कि पटवारी और उसका सहायक बिना पैसे लिए दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर तक नहीं करते।

हालांकि, पटवारी होमलाल धुर्वे ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है। उनका कहना है कि किसान के दादा के निधन होने पर पहले ही फौती उठाई गई थी। बाद में पिताजी का भी देहांत हो गया, लेकिन तहसील कार्यालय से अभी तक ज्ञापन नहीं आया है। जैसे ही ज्ञापन आता है, फौती का काम तुरंत किया जाएगा। धुर्वे ने साफ कहा कि आवेदन फाड़ने और रिश्वत मांगने की बातें सरासर झूठ हैं।

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर पटवारी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम लोग तंज कसते दिख रहे हैं कि पटवारी दफ्तर अब जनता की सेवा का केंद्र नहीं, बल्कि रिश्वतखोरी का केंद्र बनते जा रहे हैं। कल जिला संघ अध्यक्ष रिश्वतखोरी में पकड़ा गया, आज एक और पटवारी पर कागज़ फाड़ने और रिश्वत मांगने का इल्ज़ाम लग गया। ऐसे में सवाल यही है कि जब किसानों को अपने ही हक के लिए बार-बार अपमानित होना पड़े, तो सरकारी तंत्र में ईमानदारी ढूंढे भी तो कहां?