कबीरधाम। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में नए आपराधिक कानून “भारतीय न्याय संहिता 2023” के तहत पहली एफआईआर दर्ज की गई है. यह एफआईआर नक्सल संवेदनशील थाना रेंगाखार में दर्ज की गई है.

मिली जानकारी के अनुसार, रेंगाखार गांव के संगम चौक के पास ट्रेक्टर के कागजात नहीं देने के नाम पर प्रार्थी इतवारी पंचेश्वर से गोलू ठाकरे ने गाली गलौच और मारपीट की. घटना की शिकायत के बाद रेंगाखार पुलिस ने नई कानून के साथ गोलू ठाकरे के विरुद्ध धारा 296, 351(ख) के तहत मामला दर्ज किया है. देश में नए कानून लागू होने के बाद कबीरधाम जिले के रेगाखार थाना में छात्तीसगढ़ में पहला मामला दर्ज हुआ है.

एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि रात 12.5 मिनट में हमारे पास सूचना आई की एक ट्रेक्टर के मालिक के साथ कागजात को लेकर लड़ाई झगड़ा और धमकी दी जा रही है. नए कानून के तहत फोन पर सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और 12.30 बजे आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 और 351(2) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि संभवतः देश में पहला एफआईआर नए कानून के अंतर्गत हुआ है.

राजधानी रायपुर में नए अपराधिक कानून के तहत एफआईआर दर्ज

रायपुर के थाना मंदिर हसौद में नए अपराधिक कानून के अनुसार प्रार्थी नोहर दास रात्रे की रिपोर्ट पर अनावेदक अमित सिंह राजपूत के विरुद्ध अपराध क्रमांक 495/24 गाली गलौच और जान से मारने की धमकी, धारा 296, 351(2) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है. पहले यह 294, 506 आइपीसी के तहत दर्ज होता था.

एसएसपी रायपुर संतोष सिंह ने बताया कि साथ ही थाना अभनपुर में नवीन कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस) की धारा 194 के तहत अकाल मृत्यु, मर्ग की सूचना दर्ज कर जांच किया गया है. सूचक लोकेश निषाद पिता कृष्णा निषाद उम्र 47 वर्ष सकीम परसदा के द्वारा दिनांक 1/7/24 को थाना आकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई. इसका भाई मृतक टीकम निशाद पिता कृष्णा निशाद उम्र 49 वर्ष साकिन ग्राम परसदा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया है. इसकी सूचना पर मर्ग कायम कर धारा 194 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कायम कर जांच शुरू कर दी गई. पहले यह 174 सीआरपीसी के तहत होता था.

आज से देशभर में लागू हुए 3 नए आपराधिक कानून

बता दें कि आज यानी 1 जुलाई से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं, जो भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाएंगे और औपनिवेशिक युग के कानूनों को समाप्त करेंगे. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्रमशः ब्रिटिश युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. इन नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य न्यायिक देरी को रोकना और सूचना प्रौद्योगिकी के मजबूत उपयोग की शुरुआत करना है.