शैलेंद्र पाठक ,बिलासपुर -कोरोना महामारी के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा बैठक आयोजित की और अति आवश्यक प्रकृति के प्रकरणों की सुनवाई की.
वर्तमान लॉकडाउन ने न्यायालय के नियमित कार्य को बाधित किया है तथा सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन करते हुए जरूरतमंदों की न्याय तक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकी साधनों का आश्रय लेना आवश्यक बना दिया है. इस उद्देश्य के साथ सर्वोच्च न्यायालय की ई कमेटी ने इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी वाय चंद्रचूड़ के माध्यम से दिनांक 3 अप्रैल 2020 को विभिन्न उच्च न्यायालयों के कंप्यूटर समितियों के प्रमुखों के साथ बृहद तौर पर मंत्रणा की तथा यह संकल्प लिया कि देश के सभी न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा आवश्यक प्रकरणों की सुनवाई हेतु ईफाइलिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इस संबंध में लॉक डाउन की अवधि में ई फाइलिंग तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा प्रदान करने वाला एक आदेश भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित किया गया है.
इस मामले में कार्य करते हुए तथा सभी की न्याय तक पहुंच की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की कंप्यूटर समिति ने न्यायमूर्ति मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुमोदित ईफाइलिंग तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही करने के दिशा निर्देश प्रदान करने वाला एक संकल्प पारित किया है .
इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर की रजिस्ट्री को ईमेल के माध्यम से प्राप्त आवश्यक याचिकाओं पर दिनांक 9 अप्रैल को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की युगल पीठ तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के एकल पीठ द्वारा सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान कोविड-19 के प्रकोप के मुद्दे से संबंधित जनहित याचिका में खंडपीठ ने दिल्ली में तबलीगी जमात में सम्मिलित होकर छत्तीसगढ़ लौटे लोगों की जांच ना होने पर विशेष रूप से चिंता व्यक्त करते हुए अब तक जिनका पता नहीं चला है, ऐसे 52 प्रतिभागियों का पता लगाने हेतु सर्च ऑपरेशन साथ ही अगली सुनवाई अर्थात 13 अप्रैल 2020 तक 23 अन्य प्रतिभागी जिनकी जांच प्रतिवेदन अभी तक प्राप्त है उसकी स्टेटस रिपोर्ट जमा करने हेतु राज्य शासन को निर्देशित किया है.
इस कठिन समय में जब लोगों की गतिविधियां प्रतिबंधित तथा सीमित हो गई है, वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा प्रौद्योगिकी के माध्यम से जरूरतमंद पक्षकारों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने का यह प्रयास खासकर राहत व जीविका की अत्यंत आवश्यकता महसूस करने वाले लोगों की परेशानियां दूर करने में महती भूमिका निभाएगा..