पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। नए-नए बने नगर पंचायत की पहली खरीदी ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. प्रभारी सीएमओ ने सेवानिवृत्त होने से पहले जेम पोर्टल की आड़ में बड़ा खेल करते हुए बाजार में जो सामान 5-6 लाख में मिल जाता, उसे 15.73 लाख में खरीद लिया. यही नहीं इसमें से 12 लाख रुपए का भुगतान भी हो गया. मामले में कर्मचारी संगठन द्वारा की गई शिकायत पर जांच में आर्थिक अनियमितता की पुष्टि होने के बाद अब कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है.
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बात हो रही है 6 माह पहले बने नगर पंचायत देवभोग की. जहां जरुरत की सामग्री क्रय करने के लिए अप्रैल में शासन ने 50 लाख रुपए की मंजूरी दी थी. 30 जून को सेवानिवृत्त होने से पहले प्रभारी सीएमओ संतोष स्वर्णकार ने इसमें ऐसा गड़बड़झाला किया कि पूरे नगर पंचायत में चर्चा होने लगी. नवनियुक्त अधिकारी कर्मचारी कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश सोनी के ने मामले में 17 जून को संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में खरीदी में अनियमितता की शिकायत की, और 18 जून को देर शाम ज्वाइंट डायरेक्टर लोकेश्वर साहू देवभोग पहुंच गए, और अगले दिन खरीदी की सारी फाइल अपने साथ ले गए.

खरीदी से पहले नहीं ली गई पीआईसी की अनुमति
जानकारी के अनुसार, फाइलों की जांच के बाद संचालक को सौंपे गए रिपोर्ट में बताया गया कि सामग्री क्रय करने से पहले पीआईसी की अनुमति नहीं ली गई. इसके साथ रिपोर्ट में घटिया समान खरीदी का भी जिक्र किया गया है. ज्वाइंट डायरेक्टर लोकेश्वर साहू ने जांच की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रभारी सीएमओ द्वारा सामग्री क्रय में आर्थिक अनियमितता बरती गई है, जिसका प्रतिवेदन संचालक के माध्यम से शासन को कार्रवाई के लिए भेजा गया है.
बाजार में 5 से 6 लाख में मिल जाते सामान
शासन से मिली रकम से चार एसी खरीदे गए, दो वोल्टास के और दो इंटेक्स के. जिस एसी की कीमत बाजार में 35-40 हजार रुपए है, उसे जेम पोर्टल के जरिए 84 हजार में खरीदा गया. डेढ़ से 5 एचपी के 5 मोटर पम्प के लिए 3 लाख से ज्यादा का भुगतान किया गया, जबकि पांचों पांच 1 लाख रुपए के भीतर मिल जाते. इसके अलावा 63 हजार की फोटोकॉपी मशीन के लिए 3 लाख से ज्यादा का भुगतान हुआ. डस्टबिन, सोलर लाइट, इनवाइटर, आलमीरा की खरीदी 3 से पांच गुना ज्यादा कीमत पर की गई.

नपं अध्यक्ष ने खरीदी पर रोक लगाने लिखा पत्र
नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश तिवारी ने बताया कि इस खरीदी की भनक लगने नहीं दिया गया. जेम पोर्टल से जब 4 से 5 गुना ज्यादा दर पर अमानक और सेमी ब्रांड सामग्री की खरीदी हो रही थी, तो मैने आगे की खरीदी में रोक लगाने लिखित पत्र दिया. यही नहीं आगे और 20 लाख रुपए से सामग्री खरीदने की योजना बनाई गई थी.

कमीशन की लड़ाई से फूटा भांडा
खरीदी की प्रकिया से नगर पंचायत बॉडी को भनक तक लगने नहीं दिया गया. गुपचुप 15.50 लाख की खरीदी में जेम बिट से अधिकृत तनुष्का इंटरप्राइजेस को 17 मई को चेक से 12 लाख 37,499 रुपए का भुगतान भी कर दिया गया था. 84 हजार के दर से चार एसी का 3.36 लाख रुपए का भुगतान बाकी था. सूत्र बताते है कि मामले में 40 प्रतिशत कमीशन तय था, जो अफसर-कर्मियों में बंटना था. चूंकि सीएमओ का कार्यकाल 30 जून को समाप्त कर रहे था, ऐसे में यह अन्य लोगों में कमीशन बंटा नहीं. कहा जा रहा तभी मामले में कर्माचारी संगठन की एंट्री हुई और जांच में जल्दबाजी की गई.

जेम पोर्टल पर नपा अध्यक्ष ने उठाया सवाल
नगर पंचायत अध्यक्ष राजेश तिवारी ने कहा कि पूरी खरीदी प्रकिया में गलत केवल पीआईसी का अनुमोदन नहीं लेना था. अगर जेम पोर्टल के दर को सीएमओ द्वारा पटल पर रखा जाता तो बाध्य होकर हम अनुमोदन भी कर देते. हैरानी की बात है कि जिस जेम पोर्टल को खरीदी में पारदर्शिता के लिए लागू किया गया है, उसमें मानकहीन, सेमी ब्रांड सामग्रियों की सूची शामिल है, जिनकी दर बाजार में मिलने वाले ब्रांडेड सामग्री से कई गुना ज्यादा है. नपं अध्यक्ष ने जेम पोर्टल की भ्रष्टाचार का हार्डडिस्क करार दिया है, साथ ही कहा कि इस पोर्टल की समीक्षा की जाने की आवश्यकता है.
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