इस कार्यक्रम का आयोजन आरसी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मित्रांव की ओर जाने वाली सड़क पर नजफगढ़ में किया गया, जहां सड़कें पूरी तरह से वाहनों के आवागमन से मुक्त कर जनता के लिए खोल दी गईं. नजफगढ़ के हजारों स्कूली बच्चों और लोगों ने कोविड नियमों का पालन करते हुए कार्यक्रम में भाग लिया. लोगों ने पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना रैली, स्केटिंग, नुक्कड़ खेल, नुक्कड़ नाटक, संगीत बैंड, पेंटिंग, नृत्य, प्रदर्शन कला, योग, एरोबिक्स, जुंबा जैसी कई गतिविधियों में भाग लिया. इस कार्यक्रम में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की 80 वर्षीय मां सहित नजफगढ़ के सैकड़ों वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, कलाकार, फिटनेस विशेषज्ञों ने भी भाग लिया. NGO जागोरी ने भी भाषण, गीत और नुक्कड़ खेल के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जागरूक किया.
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मंत्री कैलाश गहलोत अपनी दो बेटियों और नजफगढ़वासियों के साथ साइकिल रैली से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब डीडीसी उपाध्यक्ष जस्मिन शाह ने ‘राहगीरी दिवस’ के लिए नजफगढ़ का नाम अगले स्थान के रूप में सुझाया, तो मैं तुरंत सहमत हो गया, क्योंकि इस क्षेत्र में ऐसा कोई आयोजन कभी नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि नजफगढ़ के लोगों की ऊर्जा और उत्साह अद्वितीय है. ऐसे कार्यक्रम दिल्ली के अंदरूनी इलाकों तक ही सीमित रह गए थे, लेकिन डीडीसी दिल्ली और राहगीरी फाउंडेशन के प्रयासों से उनका आनंद अब नजफगढ़ में भी लिया जा रहा है. अगर हमें दिल्ली को बदलना है, तो हमें दिल्ली के सभी इलाकों को साथ लेकर चलना होगा. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए संदेश दिया गया कि यदि हम प्रदूषण को कम करना चाहते हैं, तो निजी वाहनों पर निर्भर रहना बंद करना होगा. इनकी जगह पर हम साइकिल चला सकते हैं.
अपने बचपन को याद करते हुए मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि वह दोस्तों के साथ दिन में कई बार साइकिल से बाजार जाते थे. उन्होंने कहा कि राहगीरी के जरिए लोगों को जागरूक कर प्रदूषण मुक्त दिल्ली की दिशा में काम कर सकते हैं. इस अवसर पर डीडीसी के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह ने कहा कि सड़कें केवल वाहनों के उपयोग के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के आनंद के लिए है. हम सभी ने दिल्ली के प्रदूषण को देखा है, ऐसे में यह समझ सकते हैं कि अपने हिस्से के प्रदूषण को कम करने के लिए निजी मोटर वाहनों के उपयोग को कम करने की आवश्यकता क्यों है. राहगीरी फाउंडेशन की संस्थापक सारिका पांडा भट्ट ने कहा कि इस तरह के आयोजन लोगों को स्थानों से और आपस में जोड़ रहे हैं.
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