Delhi Artificial Rain: दिल्ली सरकार की क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) योजना को मौसम की परिस्थितियों के कारण जुलाई से स्थगित कर दिया गया है. अब यह परीक्षण 30 अगस्त से 10 सितंबर 2025 के बीच आयोजित किया जाएगा. इस संबंध में जानकारी दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दी है.
दिल्ली में कृत्रिम बारिश के परीक्षण की योजना जुलाई के पहले सप्ताह में थी, लेकिन मौसम विभाग (IMD) और IITM पुणे के वैज्ञानिकों ने मौजूदा मानसून की स्थिति को इसके लिए अनुकूल नहीं बताया. इसके परिणामस्वरूप, IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण को स्थगित करने की सिफारिश की.
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प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए क्लाउड सीडिंग बेहतर
30 अगस्त से 10 सितंबर 2025 के बीच नई तारीख निर्धारित की गई है. इसके साथ ही, ट्रायल के सफल होने के बाद, दिल्ली देश का पहला राज्य बन गया है जिसे प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्लाउड सीडिंग के लिए DGCA से आधिकारिक मंजूरी प्राप्त हुई है.
कैसे होगी आर्टिफिशियल बारिश?
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश का परीक्षण IIT कानपुर के सहयोग से किया जाएगा. यह परीक्षण विशेष विमान Cessna 206-H (VT-IIT) के जरिए किया जाएगा, जिसमें क्लाउड सीडिंग से संबंधित उपकरण स्थापित हैं. इस विमान द्वारा बादलों के नीचे सोडियम क्लोराइड जैसे कणों का छिड़काव किया जाएगा, जिससे कृत्रिम वर्षा उत्पन्न होगी और आसमान में मौजूद प्रदूषण के कणों को हटाने में सहायता मिलेगी.
पहले 4 जुलाई से होना था ट्रायल
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी कि DGCA ने पहले 4 से 11 जुलाई तक उड़ानों की अनुमति दी थी. हालांकि, वैज्ञानिक संस्थानों की सलाह के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि मानसून की सक्रियता के कारण उस समय क्लाउड सीडिंग प्रभावी नहीं होगी. अब IIT कानपुर ने 30 अगस्त से 10 सितंबर तक का नया विकल्प प्रस्तुत किया है, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है और DGCA से भी स्वीकृति प्राप्त हो गई है.
दिल्ली के इन इलाकों में कराई जाएगी कृत्रिम बारिश
दिल्ली सरकार के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के लिए ट्रायल उड़ानों का ध्यान उन क्षेत्रों पर केंद्रित किया जाएगा जहां प्रदूषण का स्तर अधिक है और निचले स्तर के बादल बनने की संभावना है. इस संदर्भ में, अलीपुर, रोहिणी, बुराड़ी, बवाना, पावी सदकपुर, कुंडली बॉर्डर और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के कुछ हिस्सों को क्लाउड सीडिंग के लिए चिन्हित किया गया है.
दिल्ली सरकार के अनुसार, ट्रायल के दौरान उड़ानों के संचालन में DGCA के दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन किया जाएगा. इसमें दृश्य उड़ान नियमों के तहत उड़ान भरना, एरियल फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध, एटीसी के साथ समन्वय, और निर्धारित हवाई क्षेत्र के भीतर संचालन जैसे नियम शामिल हैं. इसके साथ ही, सभी गतिविधियाँ CAR सेक्शन 3, सीरीज़ N, पार्ट I और एयर ट्रांसपोर्ट सर्कुलर 1/2019 के अनुरूप होंगी.
इन शर्तों के साथ अनुमति
सभी उड़ानें दिन के समय और साफ मौसम में संचालित की जाएंगी.
ट्रायल के दौरान एरियल फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं होगी.
विमान को केवल निर्धारित क्षेत्रों में उड़ान भरने की अनुमति होगी, और प्रतिबंधित क्षेत्रों से दूर रहना अनिवार्य है.
प्रत्येक उड़ान के लिए एटीसी से पूर्व अनुमति प्राप्त करना और उनके साथ समन्वय करना आवश्यक होगा.
ट्रायल का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा, और किसी भी घटना की जानकारी तुरंत डीजीसीए को दी जाएगी.
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