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Fiscal Deficit of Central Government. वित्त वर्ष 2024 के पहले दो महीनों (अप्रैल-मई) में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2023-24 के बजट अनुमान का 11.8 फीसदी था. पिछले साल की समान अवधि में राजकोषीय घाटा 2022-23 के बजट अनुमान का 12.3 फीसदी था. राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है.
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राजकोषीय घाटा क्या दर्शाता है?
यह सरकार को संकेत देता है कि उसे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कितना उधार लेना होगा। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, मई 2023 के अंत में राजकोषीय घाटा वास्तविक रूप से 2,10,287 करोड़ रुपये था.
सरकार का लक्ष्य क्या है?
केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है.
2022-23 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत था जबकि पहले अनुमान 6.71 प्रतिशत था. 2023-24 के पहले दो महीनों के लिए केंद्र सरकार के राजस्व और व्यय के आंकड़ों का विवरण देते हुए सीजीए ने कहा कि शुद्ध कर राजस्व 2.78 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 11.9 प्रतिशत रहा.
सरकार का कुल खर्च 6.25 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 13.9 फीसदी) रहा. बजट के अनुसार, मार्च 2024 के अंत में राजकोषीय घाटा 17.86 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
केंद्र सरकार ने राज्यों को कितना टैक्स का पैसा दिया?
सीजीए आंकड़ों के अनुसार, मई 2023 तक केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उनके हिस्से के करों के हस्तांतरण के रूप में 1,18,280 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं.
केंद्र सरकार द्वारा किए गए कुल व्यय में से 4.58 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते पर और 1.67 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते पर थे। कुल राजस्व व्यय में से 1.1 लाख करोड़ रुपये ब्याज भुगतान पर और 55,316 करोड़ रुपये मूल सब्सिडी पर थे.
24 मार्च तक राजकोषीय घाटे का लक्ष्य क्या है?
बजट के अनुसार, मार्च 2024 के अंत में राजकोषीय घाटा 17.86 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. केंद्र सरकार को मई 2023 तक 4.15 लाख करोड़ रुपये (संबंधित बजट अनुमान 2023-24 की कुल प्राप्तियों का 15.3 प्रतिशत) प्राप्त हुए.