धमतरी। जिले के मछुआरों की हालत काफी खराब है, लेकिन शासन-प्रशासन आंख मूंदे बैठा है. यहां के माडमसिल्ली बांध में मत्स्य आखेट कर रहे मछुआरे अब बेरोजगारी की कगार पर हैं. इनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. इस मामले में हाईकोर्ट के आदेशों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. इससे आक्रोशित मछुआरे कलेक्ट्रेट पहुंचे और उन्हें ज्ञापन सौंपा.
दरअसल माडमसिल्ली बांध में मत्स्याखेट के लिए स्थानीय मछुआरा समिति को करीब 10 साल की लीज पर इसे दिया गया था. लेकिन लीज की अवधि खत्म होने से पहले ही अब दूसरे ठेकेदार को इसे लीज पर दे दिया गया है. इतना ही नहीं, स्थानीय मछुआरा समिति ने लाखों रुपए के बीज बांध में डाले थे, लेकिन अब उन्हें मारने का हक भी नहीं दिया जा रहा. ऐसे में समिति के 150 सदस्यों के परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.
मछुआरे पिछले 2 सालों से बेरोजगार हैं और रोजी-रोटी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन
इधर मछुआरा समिति ने हाईकोर्ट भी आवेदन किया था. जिस पर हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो पाया है. इसके कारण मछुआरों में आक्रोश देखने को मिल रहा है.
मछुआरों का कहना है कि उनके पूर्वज भी मछली मारने का काम करते थे और वे भी मत्स्य पालन के ही पेशे में हैं. उनका कहना है कि प्रशासनिक अमले ने ठेकेदार से मिलीभगत कर इसे लीज पर बेच दिया है.
अब मछुआरे सरकार से अपना अधिकार मांग रहे हैं और दूसरे ठेकेदार की लीज निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.
इधर कलेक्टर सीआर प्रसन्ना ने मछुआरा समिति को पहली प्राथमिकता देने और मामले की जांच करने की बात कही है.