गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना में पांच राफेल विमान पहले ही शामिल हो चुके हैं। अब अगले माह मिलने वाले इन लड़ाकू विमानों को पश्चिम बंगाल के कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा। ये विमान चीन से मिली हुई पूर्वी सीमा की रखवाली के लिए तैनात किए जाएंगे। खास बात ये है कि चीन से लगने सीमा पर तापमान को देखते हुए इस विमान में भारत ने अपने हिसाब से कई जरूरी मोडिफिकेशन और तकनीकी बदलाव भी कराए हैं।
इन बदलावों की वजह से लड़ाकू विमान कम तापमान में भी आसानी से स्टॉर्ट हो सकता है। पहले बैच में भारत 5 राफेल विमान आए हैं। जिन विमानों को अंबाला में वायुसेना की सेवेंटीन गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है। गौरतलब है कि भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए डील की है। राफेल के वायुसेना में आ जाने से वायुसेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो जाएगा।