हरिओम श्रीवास, मस्तूरी– एक कमरे में पांच कक्षाएं और उसमें 122 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा व्यवस्था का ये हाल ग्राम धनगांव के आश्रित गांव भगवापाली है. ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद स्कूल भवन नहीं बनाया. मजबूरी में बाड़ी किराए में लेकर शिक्षक पढ़ा रहे हैं. पहले बात कमरे के बंटवारे की. कमरे के एक कोने से आवाज आती है ए फॉर एपल तो कमरे के दूसरे कोने से आवाज आती है दो दुनी चार. ‘ए फॉर एपल’ और ‘दो दुनी चार’ की आवाज आपस में टकराती है तो कुछ भी समझ पाना आसान नहीं रहता. अब बात ब्लैक बोर्ड की करे तो उसे भी एक बबूल के पेड़ पर लटकाया गया हैं और एक कुर्सी के सहारे जमीन पर अब सवाल यह है कि इस नजारे को शिक्षा कहें या शिक्षा के साथ मजाक. दरअसल  इस प्राथमिक शाला में कमरे की कमी है. कमरा पर्याप्त नहीं होने के कारण एक ही कमरे में पहली से पांचवीं तक पूरी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक मुख्यालय से 18 किमी की दूरी पर पूर्व विधायक दिलीप लहरिया का गृह ग्राम धनगांव में जिसका आश्रित ग्राम भगवानपाली हैं. इस गांव में प्राथमिक शाला संचालित हो रहा हैं. दिलीप लहरिया विधायक रहते हुए भी अपने गांव में एक स्कूल के लिए भवन नहीं बनवा पाए, आज स्कूल में शिक्षक के साथ ही छात्र-छात्राएं मूलभूत सुविधाओं के लिए वर्षों से तरस रहे हैं. प्राथमिक शाला केवल एक ही कमरे में पहली से पांचवीं तक संचालित की जा रही हैं. जिसमें पांच शिक्षक हैं, उसमें भी एक मातृत्व अवकाश पर हैं तो दूसरे शिक्षक को पकरिया स्थित स्कूल में अटैच किया गया हैं.

खुले आसमान के नीचे कर रहे पढ़ाई

हम बच्चों की बात करे तो वहां की दर्ज संख्या 122 हैं. सभी खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं एक स्थान जहां बच्चे बैठ रहे हैं. वह एक निजी बाड़ी है, जिसे बच्चों की पढ़ाई में बांधा न हो इसलिए लिया गया हैं. साथ ही शिक्षक भी एक टेबल कुर्सी रखकर स्कूल प्रांगण में ही कार्यालय बना कर रखे हुए हैं. दर्ज संख्या अधिक होने और भवन न होने की वजह से बैठक व्यवस्था में लगातार दिक्कतें आ रही है.

केवल तीन शिक्षक के भरोसे पढ़ाई

इस ग्राम पंचायत के भगवानपाली स्कूल में सबसे ज्यादा परेशानी बरसात और गर्मियों के दिन होता हैं. अभी मैदान में बैठने पर पेड़ से कीड़े मकोड़े के बच्चों के ऊपर गिरता हैं, यहां केवल तीन ही शिक्षक हैं जो पांचों कक्षाओं की जिम्मेदारी उठाए हुए हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि शिक्षक पांच कक्षाओं के विद्यार्थियों को एक साथ एक ही कमरे में कैसे पढ़ाते होंगे.

शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया

स्कूल व्यवस्था और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा बैठक ली जाती हैं. मस्तूरी विकासखंड में अधिकांश विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए समुचित व्यवस्थाएं नहीं हैं. कहीं दुर्घटना को दावत देते छत तो कहीं शौचालय,  पीने के लिए पानी तो कही बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. एक ऐसा स्कूल जिस पर विभाग की नजर नहीं पड़ी हैं या फिर विभाग नजर अंदाज कर रहे हैं. शिक्षा विभाग को कई बार पत्र लिखकर व्यवस्था सुधारने के लिए आवेदन दे चुके हैं, लेकिन विभाग अपना पल्ला झाड़ लिया हैं और पंचायत के ऊपर डाल दिया जा रहा हैं.

नई ज्वाइनिंग है, जांच करेंगे

इस संबंध में मस्तूरी में पदस्थ खंड शिक्षा अधिकारी सीबी सिंह टेकाम ने कहा कि मैं मेरी अभी ज्वाइनिंग हुई है. आप ने अवगत कराये तो इस मामले की जांच की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने ये कहा कि स्कूल की वास्तविक स्थिति आप खुद देखकर आये या किसी से सुनकर. जब अधिकारी इस तरह का जवाब देंगे तो शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा.