पवन दुर्गम, बीजापुर।  पिछले 9 दिन से लगातार हो रही बारिश से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बाढ़ आ गई है। जिले के तमाम नदी नाले उफान पर हैं। बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया है, कई घर बाढ़ में डूब गए है तथा कई धराशायी हो गए हैं। बाढ़ की वजह से जान बचाने के लिए लोगों को यहां वहां शरण लेना पड़ रहा है। इस आसमानी आफत से लोगों के पास जो खाने-पीने, ओढ़ने-पहनने का और रुपये पैसे सब पानी में बह गए हैं। लोगों का पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। जिले में आई बाढ़ का जायजा हमारे जिला संवाददाता पवन दुर्गम ने लिया। उन्होंने वहां के हालात देखे और लोगों से बातचीत भी किया।

पवन ने बताया कि जिले से इंद्रावती और उसकी कई सहायक नदियां बहती हैं। 9 दिन से लगातार हो रही मुसलाधार बारिश की वजह से सभी नदी-नाले उफान पर हैं। पुल-पुलिये सब डूब चुके हैं, कई गांवों का एक दूसरे से औऱ जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है। 9 वें दिन आज सोमवार को बारिश रुकने के बाद धीरे-धीरे अब बाढ़ का पानी उतरने लगा है। लेकिन बाढ़ के इस पानी के उतरने के साथ ही जो खौफनाक मंजर निकलकर सामने आया है, वो दिल दहलाने वाला है।

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जिले में बहने वाली चिंतावगु नदी में आई बाढ़ ने गांवों को अपने चपेट में ले लिया है। यहां मुरकीनार गांव के आश्रित गांव पंगनपाल में बाढ़ का पानी सब कुछ अपने साथ बहा ले गया है। बाढ़ की इस भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां सैकड़ों मवेशी बाढ़ की पानी में बह गए। जिसमें 40 गायों के शव बरामद हुए हैं। इस बाढ़ ने किसान मिच्छा भीमा का भी सबकुछ अपने साथ बहाकर ले गया है। उसके बाड़े में बंधे सभी मवेशी बह गए हैं और उनकी मौत हो गई है। मिच्छा भीमा ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई है लेकिन वो उन मवेशियों को नहीं बचा पाया जो उसकी आजीविका के स्रोत थे। अब उनकी आंखों में सिवाय दर्द और आंसू के कुछ भी नहीं है। उसकी नजरें अब जिला प्रशासन और सरकार के ऊपर मदद के लिए टिकी हुई है।

पवन दुर्गम चिंतावगु नदी के बाढ़ क्षेत्र के अलावा मिंगाचल नदी क्षेत्र के बाढ़ ग्रस्त इलाकों का भी दौरा किया। उऩ्होंने बताया कि मिंगाचल नदी में आई बाढ़ से यहां कई गांव प्रभावित हुए हैं। नदी के आस-पास के कई गांव इस बारिश में डूब गए। सबसे ज्यादा प्रभावित नदी के मुहाने से लगे झाड़ीगुड़ा और कोमला क्षेत्र के ग्रामीण प्रभावित हैं। नेशनल हाईवे नंबर 62 मोडकपाल के पास नदी में बने पुल से करीब 10 फीट ऊपर पानी बह रहा था, जो कि मोदकपाल थाना तक जा पहुंचा।

संवाददाता से बातचीत में गांव के रहने वाले कुर्सुम सोमरु ने बताया कि रात 2 बजे के आसपास गांव में बाढ़ का पानी घुस आया। जिस वक्त पानी गांव में घुसा उस वक्त वो सो रहे थे। उनका भाई घर आया और जोर-जोर से चिल्ला-चिल्लाकर उन्हें नींद से जगाया। जब वे अपने परिवार के साथ नींद से जागे उस वक्त पानी उनके घुटने तक आ चुका था लेकिन परिवार के अन्य लोगों को जगाते जगाते पानी और बढ़कर पेट के ऊपर तक आ गया। हड़बड़ी में वो अपने परिवार को लेकर सुरक्षित स्थान तक पहुंच गए लेकिन उनका पूरा घर, खाने का सामान और आने वाले दिनों के लिए रखा गया धान, रुपया पैसा सब कुछ उनके घर के साथ डूब गया। इसी तरह कई लोगों के घर बाढ़ के पानी के साथ ही बह गए। जिन घरों में लोगों ने अपने जीवन का एक लंबा वक्त गुजारा, सपने बुने उन घरों को वे अपने आंखों के सामने ढहते देख हताश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक उनसे मिलने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा और ना ही कोई मदद।

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पवन उस जगह भी पहुंचे जहां सीआरपीएफ का कैम्प था। यहां निर्माणाधीन पुल की नक्सलियों से सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ के सैकड़ों जवान भी बाढ़ में फंस गए। जिसका पता चलते ही उन्हें रात में रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया।

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इस आफत की बारिश ने ग्रामीणों से उनका घर, आजीविका का साधन सब कुछ छीन लिया है।  ऐसे में हताशा में डूबे बाढ़ प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन द्वारा किस तरह का कदम उठाया गया है। यह जानने के लिए हम कलेक्टर से बात करना चाहे लेकिन टीएल मीटिंग में होने की वजह से उनसे बात नहीं हो पाई।