ललित ठाकुर, राजनादगांव। रंगमंच के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाली पूनम तिवारी को भारत की राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया है. यह पुरस्कार लेकर राजनांदगांव लौटने पर संगीत कला जगत से जुड़े कलाकारों ने पूनम तिवारी का सम्मान किया.
संगीत नाट्य कल से महज 8 वर्ष की आयु से जुड़ी राजनांदगांव की कलाकार पूनम तिवारी को उनकी कला साधना के लिए संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 6 मार्च को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा. संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार ग्रहण करने के बाद राजनांदगांव पहुंची पूनम तिवारी का यहां के स्थानीय कलाकारों ने स्वागत किया. वहीं इस दौरान पूनम तिवारी ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं छत्तीसगढ़ की बेटी हूं. उन्होंने कहा कि मेरी जीवन भर की तपस्या सफल हुई है.
महज 8 वर्ष की आयु में पूनम तिवारी ने दाउमंदराजी की नाचा पार्टी से रंगमंच की दुनिया में अपना कदम रखा था और 14 वर्ष की आयु में हबीब तनवीर की नया थिएटर से जुड़कर उन्होंने देश-विदेश में अपनी नाट्य, कला संगीत का लोहा मनवाया. उन्होंने आगरा बाजार, चरणदास चोर, मिट्टी की गाड़ी, बहादुर कलारिन जैसे कई नाटकों में काम किया और फ्रांस, जर्मनी, रूस, बांग्लादेश, पेरिस, लंदन सहित कई देशों में रंगमंच के माध्यम से अनेक पुरस्कार हासिल किये. वहीं वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ सरकार ने दाउमंदराजी सम्मान दिया था. पूनम तिवारी का परिवार भी रंगमंच से जुड़ा रहा उनके पति स्वर्गीय दीपक विराट भी संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. वहीं उनके पुत्र और पुत्रियां भी संगीत कला जगत से जुड़कर इस विधा को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं. संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पूनम तिवारी ने राजनांदगांव जिले सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश को गौरवान्वित किया है.
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