लगभग हर किसी के घर में लड्डू गोपाल स्थापित होंगे और उनकी पूजा-सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रखते होंगे। कुछ लोग तो उनकी साधारण पूजा करते हैं पर कुछ लोग उन्हें बिल्कुल बच्चे की तरह रखते हैं। और उनको खिलाना पिलाना सुलाना सभी करते हैं। लेकिन लड्डू गोपाल को जब आप सुलाते हैं तो कहीं जाने-अनजाने कुछ गलतियां तो नहीं कर बैठते।
आज हम आपको बताएंगे कि लड्डू गोपाल को शयन कराते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिनके बारे में शास्त्रों में भी वर्णन मिलता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि लड्डू गोपाल को सुलाते समय हमें कौन सी भूल करने से बचना चाहिए।
लड्डू गोपाल को सुलाने के नियम
1- लड्डू गोपाल गोपाल को सुलाने से पहले हमेशा उन्हें दूध का भोग लगाना चाहिए। यानी कि जब आप लड्डू गोपल को खाने का भोग लगाते हैं तब उसके थोड़े समय बाद ही लड्डू गोपाल को पहले दूध का भोग लगाएं और फिर उसके बाद ही लड्डू गोपाल को सुलाएं।
- लड्डू गोपाल को सुलाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि उन्हें बिलकुल ऐसे सुलाएं जैसे आप खुद सोते हैं। उदाहरण के तौर पर अभी सर्दी का समय लिहाजा आप कंबल या रजाई लेकर सोते होंगे तो लड्डू गोपाल को भी रजाई या कंबल उढ़ाकर सुलाएं। और अगर गर्मी के दिन हैं तो उन्हें सूती कपड़े पहना कर सुलाएं।
लड्डू गोपाल को सुलाने के समय के बारे में शास्त्रों में बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, लड्डू गोपाल को दो समय ही सुलाना चाहिए, एक दिन में और दूसरा रात में, अगर आप दिन में लड्डू गोपाल को नहीं सुलाते हैं तो आज से ही दिन में भी सुलाएं।
- लड्डू गोपाल को सुलाने के बाद उनके मंदिर का पर्दा लगा देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब हम घर में लड्डू गोपाल को सुलाते हैं तो वह सोने से पहले श्री राधा रानी से मिलने जाते हैं या राधा रानी उनसे मिलने आती हैं, फिर ही लड्डू गोपाल सोते हैं।
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