MCD ने रामलीला मैदान(Ramlila Maidan) से अवैध अतिक्रमण हटाने और अवैध कॉमर्शियल गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही रामलीला मैदान में अवैध कब्जों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। जांच और सर्वेक्षण में सामने आया है कि करीब 36,428 वर्ग फुट सरकारी जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद जैसा ढांचा, बारात घर और डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित किए जा रहे थे। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) के निर्देश पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें वक्फ बोर्ड और मस्जिद समिति जमीन के मालिकाना हक से जुड़े कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। डीडीए और राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार संबंधित जमीन सरकारी है।

यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें वक्फ बोर्ड और मस्जिद समिति जमीन के मालिकाना हक से संबंधित कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। डीडीए और राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार संबंधित भूमि सरकारी है।

मैदान के बड़े हिस्सों पर अतिक्रमण

एमसीडी के आधिकारिक आदेश के अनुसार यह कार्रवाई ‘सेव इंडिया फाउंडेशन’ की शिकायत के बाद की गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि तुर्कमान गेट के पास स्थित रामलीला मैदान के बड़े हिस्सों पर अतिक्रमण किया गया है और धर्मार्थ गतिविधियों की आड़ में जमीन का उपयोग कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। शिकायत में अवैध निर्माणों की भी पहचान की गई थी।

अवैध कब्जे में क्या-क्या?

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अवैध कब्जे वाली भूमि पर विशाल मस्जिद या मरकज जैसा ढांचा, एक बारात घर और एक पैथोलॉजी डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। इसके बाद एमसीडी ने भूमि एवं विकास कार्यालय (L&DO) और डीडीए के साथ मिलकर 16 अक्टूबर को संयुक्त सर्वेक्षण किया था।

सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि लोक निर्माण विभाग (PWD) की सड़क और फुटपाथ के लगभग 2,512 वर्ग फुट क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया है। इसके अलावा एमसीडी को लाइसेंस पर दी गई रामलीला मैदान की करीब 36,428 वर्ग फुट जमीन पर भी अवैध कब्जा पाया गया। इस भूमि पर बारात घर, पार्किंग स्थल और एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित किए जा रहे थे।

हाईकोर्ट के आदेश पर सुनवाई

शिकायतकर्ता की ओर से दायर एक रिट याचिका के बाद यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था। इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 नवंबर को एमसीडी को तीन महीने के भीतर अतिक्रमण और अवैध कॉमर्शियल गतिविधियों को हटाने के निर्देश दिए थे। अदालत के आदेश के अनुपालन में एमसीडी उपायुक्त (भूमि एवं संपदा) की अध्यक्षता में 24 नवंबर और 16 दिसंबर को सुनवाई की गई।

मस्जिद समिति की क्या दलीलें?

सुनवाई के दौरान प्रबंधन समिति के प्रतिनिधियों, दिल्ली वक्फ बोर्ड, भूमि एवं विकास कार्यालय (L&DO), डीडीए और राजस्व विभाग के अधिकारियों का पक्ष सुना गया। इस दौरान मस्जिद की प्रबंधन समिति ने बारात घर के अस्तित्व से इनकार किया और कहा कि परिसर के कुछ हिस्सों का उपयोग कभी-कभार शादियों के लिए किया जाता है। वहीं, समिति ने यह भी दावा किया कि परिसर में संचालित क्लिनिक एक धर्मार्थ संस्था है, जिसे जरूरतमंदों की सेवा के लिए चलाया जा रहा है।

जमीन देने का कोई सबूत नहीं

दिल्ली वक्फ बोर्ड ने 1970 के गजट नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए जमीन को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया और स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा। हालांकि, रिकॉर्ड और प्रस्तुत दलीलों की समीक्षा के बाद एमसीडी इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड या प्रबंधन समिति को जमीन आवंटित किए जाने का कोई दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

बुलडोजर ऐक्शन का रास्ता साफ

सुनवाई के दौरान DDA ने MCD को बताया कि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार संबंधित जमीन सरकारी है और इसे न तो दिल्ली वक्फ बोर्ड और न ही किसी अन्य निकाय को आवंटित किया गया है। राजस्व अधिकारियों ने भी स्पष्ट किया कि कब्जेदारों के दावे के समर्थन में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। एमसीडी ने 22 दिसंबर को पारित अपने अंतिम आदेश में कहा कि 0.195 एकड़ के पट्टे वाले क्षेत्र से बाहर स्थित सभी निर्माण अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं और उन्हें हटाया जाना चाहिए। आदेश में यह भी साफ किया गया कि उक्त जमीन का उपयोग विवाह स्थल या क्लिनिक के रूप में नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही अवैध कब्जों पर बुलडोजर कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m

देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक

लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक