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दिल्ली विधानसभा के चुनाव में जीत के साथ वर्ष 2025 में भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत ही शुभ और अच्छी शुरुआत हुई है. न केवल सत्ताइस साल बाद दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की वापसी हुई है, बल्कि प्रमुख राष्ट्रीय राजनैतिक दल कॉंग्रेस का वहाँ लगातार तीसरी बार खाता नहीं खुला है. इस चुनाव में एक्जिट पोल एजेंसियों ने जो पूर्वानुमान लगाया था वह भी लगभग सही साबित हुआ है, और शायद यह आगे के चुनावों के लिए जनता के मन में एग्जिट पोल की जो विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी थी, और उसकी प्रमाणिकता पर राजनीतिक दल भी संदेह कर रहे थे उसमें फिर से आशा की किरण दिखाई देने लगेगी.
वर्ष 2024 में संपन्न लोक सभा चुनावों के नतीजों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने हताशा को छोड़ जिस प्रकार से नई ऊर्जा के साथ न हरियाणा महाराष्ट्र और दिल्ली में वापसी की है उसके लिए न केवल उनका राष्ट्रीय नेतृत्व बधाई का पात्र है बल्कि कार्यकर्ताओं में भी उत्साह बनाए रखा यह उल्लेखनीय है और तमामविश्लेषणों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की और हेट ट्रिक की और 3 प्रमुख राज्यों में से 2 में वापसी की और दिल्ली में सत्तारूढ़ दल को बाहर का रास्ता दिखाया.
अभी तक की स्थिति में दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी 48 एवं आम आदमी पार्टी ने 22 सीटों पर जीत हासिल की है. और जहाँ भाजपा के प्रमुख उम्मीदवार श्री प्रवेश वर्मा जो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं वे जीत गए हैं और उन्होंने आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल को हराया है तथा श्री मनीष सिसोदिया भी जिन्हें पार्टी का थिंक टैंक भी कहा जाता है वे भी हार गए हैं. तथा वर्तमान मुख्य मंत्री आतिशी मार्लिनो भी नजदीकी मुक़ाबले में जीती हैं. यह इस बात को इंगित करता है कि दिल्ली की जनता आम आम आदमी पार्टी से किस क़दर नाराज़ हैं. यद्यपि दिल्ली में त्रिकोणीय संघर्ष था लेकिन काँग्रेस पार्टी मैदान में हैं यह कहीं दिखाई नहीं दिया.
जब यह चुनाव के पहले से ही परिलक्षित हो रहा था कि दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी से नाराज़ है तो इस स्थिति का लाभ उठाते हुई कांग्रेस पार्टी पूरे जोश के साथ मैदान में उतरती तो आम आदमी पार्टी को जो वोट मिले वो कॉंग्रेस को मिल सकते थे लेकिन कॉंग्रेस पार्टी ने फाउल प्ले गेम खेला और ख़ुद गोल करने के बजाए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को पास दे दिया और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार उसको गोल में परिवर्तित नहीं कर सके. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और फ़्री की रेवड़ी बाँटने का समर्थन न करने के बावजूद उन्होंने फ्री में सुविधाएँ देने का आश्वासन अपने संकल्प पत्र में किया. उन्होंने इस बात को समझा कि युद्ध में जिसको हराना है उससे जीतने के लिए उसी शैली में युद्ध कर जीता जा सकता है.
आम आदमी पार्टी के नेता भी अति आत्मविश्वास में थे और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ इंडी गठबंधन बनाने के बावजूद दिल्ली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं किया और एक तरह से यह उनके लिए आत्मघाती साबित हुआ. कई स्थानों पर तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार केवल उतने वोटों से हारे जितने वोट काँग्रेस के उम्मीदवारों को मिले. इस चुनाव की एक और विशेषता देखने को मिली कि भारतीय जनता पार्टी को सभी क्षेत्रों में बढ़त हासिल हुई चाहे वे दलित बाहुल्य हों या मुस्लिम बाहुल्य हों या अन्य समुदाय के लोग जैसे पूर्वांचल आदि के निवासी जिस इलाक़े में अधिक रहते हैं वहाँ भी सभी जगह के मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी के प्रति विश्वास जताया और शायद यह पहली बार होगा की मुस्लिम मतदाताओं ने भी भारतीय जनता पार्टी को जिताने के लिए वोट किया.
इस चुनाव ने एक बार पुनः मोदी की गारण्टी पर भरोसा व्यक्त किया और किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा न बनाने का निर्णय भी सही साबित हुआ. बहरहाल, इस चुनाव से भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों की संख्या में इज़ाफ़ा हो गया और इससे उसे राज्य सभा में भी अपनी संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह चुनाव आगामी वर्षों में जिन राज्यों में चुनाव होना है वहाँ भारतीय जनता पार्टी के लिए आक्सीजन का काम करेगा और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता नई उर्जा और जोश के साथ अगले चुनाव में उतरेंगे . लेकिन साथ ही साथ इस चुनाव में जो जीत हासिल हुई है उसको अपने कार्यो से सही साबित करना भी चुनौती होगा तभी उसका परिणाम आगे अन्य राज्यों के चुनावों में दिखेगा.
चन्द्र शेखर गंगराड़े,
पूर्व प्रमुख सचिव,
छत्तीसगढ़ विधानसभा