रायपुर. पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा है कि मनरेगा में काम करने वाले मज़दूरों का विश्वास बहाल करने की ज़रुरत है. उन्होंने कहा कि इसे बहाल करने के लिए मजदूरों को काम के बाद भुगतान की गारंटी देनी होगी. चंद्राकर ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सभी प्रदेश के 27 जिलो के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की दो दिवसीय समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए ये बात कही.
उन्होंने कहा कि अभी दिन दिन में 99 प्रतिशत भुगतान हो रहा है लेकिन 1 प्रतिशत लोगों का भुगतान नहीं हो रहा है. इससे वे योजना पर विश्वास नहीं करते. चंद्राकर ने कहा कि मनरेगा को जो क्रेडिट मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है. जबकि इस योजना से ज्यादा काम हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि अकाल की स्थिति में मनरेगा रोजगार देने में सबसे बड़ी योजना है.
चंद्राकर ने कहा कि यदि जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों का कमिटमेंट हो तो क्या बदलाव आ सकता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वच्छता अभियान का खुले में शौच मुक्ति कार्यक्रम है. जिसमें 33 लाख टॉयलेट बनाए हैं अब केवल 1.60 लाख टॉयलेट बनाना बाकी है. उन्होंने कहा कि जो टॉयलेट बने हैं उनका यूज़ हो यह सबसे बड़ी चुनौती है.
इस मौके पर अपर मुख्य सचिव एमके राउत ने कहा कि मनरेगा में प्राथमिकता से भुगतान किया जा रहा है और आंगनबाड़ी बनाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास के तहत अभी तक राज्य में सवा लाख मकान बन चुके हैं. इन मकानों में लोग रहने लगे हैं. जून तक दो लाख मकान बनाना है. मकान की गुणवत्ता अच्छी हो यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है.
रावत ने कहा कि प्रदेश में सूखे की स्थिति को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा का काम प्रारंभ करें. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आलोचना से हतोत्साहित ना हो. बल्कि हर आलोचना को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार करें और बेहतर काम करें.