रायपुर. राज्यसभा चुनाव को लेकर बीजेपी चुनाव समिति की बैठक हुई. जिसमें पच्चीस नामों का पैनल बनाया गया. ये सीट भूषणराम जांगड़े का कार्यकाल खत्म होने की वजह से खाली हो रही है. जिन 25 नामों का पैनल बनाया गया है उनमें धरम लाल कौशिक, सरोज पांडेय, निर्मल सिन्हा, डॉ कृष्णमूर्ति बांधी, अशोक शर्मा, जेआर सोनी, शोभाराम बंजारे, चोवा राम खांडेकर, प्रवीण दुबे सहित कुल 25 नामों का पैनल तैया किया गया है. बैठक में सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, पुन्नू लाल मोहले, रामसेवक पैकरा, रमेश बैस, नंदकुमार साय और भूषण जांगडे़ पार्टी कार्यालय पहुंचे.

इन 25 नामों में से एक नाम फाइनल हाईकमान करेगा. 23 मार्च को राज्यसभा की खाली हो रही 58 सीटों के लिए देशभर में चुनाव होंगे. इसमें एक सीट छत्तीसगढ़ की है. इस सीट पर मौजूदा सांसद भूषणराम जांगड़े हैं. राज्य में राज्यसभा की पांच सीटें है. जिसमें से विधायकों की संख्या बल के हिसाब से बीजेपी को तीन सीटें मिलनी हैं. रामविचार नेताम और रणविजय सिंह पहले से बीजेपी कोटे से राज्यसभा के सांसद हैं.

भूषणराम जांगड़े का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. जांगडे़ अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. लिहाजा संगठन के भीतर एक चर्चा इस बात को लेकर भी है कि अनुसूचित जाति वर्ग से ही चेहरा चुनकर राज्यसभा भेजा जाएगा.इसी संभावना पर काम करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े भाजपा नेता अपने अपने लिये लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं.विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस वर्ग से आने वाले रमन सरकार के दो मंत्री पुन्नूलाल मोहिले और दयालदास बघेल अपने अपने पसंद के उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने के लिये जी-जान से जुटे हुए हैं.मंत्री पुन्नूलाल मोहिले, चोवादास खांडेकर की उम्मीदवारी के लिये सीएम से लेकर संगठन के उच्च स्तर पर लॉबिंग कर चुके हैं.चोवादास खांडेकर जरहागांव विधानसभा से विधायक रह चुके हैं,साथ ही पूर्व में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और इनकी गिनती बिलासपुर संभाग के अनुसूचित जाति वर्ग के कद्दावर नेताओं में होती है.वहीं दूसरी ओर मंत्री दयालदास बघेल अपने गुरु विजयगुरु को राज्यसभा भेजने के लिये हाथ-पांव मार रहें हैं.इन दोनों दावेदारों के बीच गुरु बालदास की उम्मीदवारी की चर्चा भी जोरों पर है.

इन सभी चर्चाओं के बीच संगठन के आला नेता फिलहाल सियासी गुणाभाग लगाने की कवायद में जुटे हैं. जिस वक्त भूषण राम जांगड़े को राज्यसभा भेजा गया था, वह वक्त की मांग थी. अनुसूचित जाति वर्ग के वोटबैंक को साधने के लिहाज से पार्टी की यह रणनीति थी. लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में जांगड़े को राज्यसभा भेजे जाने का सियासी फायदा पार्टी को नहीं हुआ. अनुसूचित वर्ग को साधने के लिए ऐन वक्त पर बीजेपी को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी थी.

अनुसूचित जनजाति वर्ग से रामविचार नेताम पहले से ही राज्यसभा में हैं. वहीं इसी वर्ग से आने वाले विष्णुदेव साय लोकसभा सांसद हैं और केंद्र सरकार में मंत्री. ऐसे में अनुसूचित जनजाति वर्ग से किसी चेहरे को राज्यसभा भेजे जाने की गुंजाइश पहले ही खत्म नजर आती है. ओबीसी वर्ग से बीजेपी के पास सबसे बड़े और प्रभावी चेहरे के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ही देखे जा रहे हैं. लेकिन बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह कौशिक चुनावी रण को साधने में जुटे हैं, उससे लगता है कि वह विधानसभा चुनाव लड़ना ही पसंद करेंगे. एक नाम और चर्चा में है, वह है सरोज पांडेय का. फिलहाल वह बीजेपी संगठन में बड़े ओहदे पर हैं. राष्ट्रीय महामंत्री की हैसियत से काम कर रही है. महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य उनके प्रभार में हैं. केंद्रीय नेतृत्व के बेहद करीब मानी जाती हैं. ऐसे में सियासी चर्चाओं में सरोज का नाम भी राज्यसभा दावेदार के तौर पर उभर रहा है.

हास्यास्पद स्थिति पर पहुँच चुकी है भाजपा : त्रिवेदी

25 नामों की लंबी पैनल जारी होने के बाद कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि एक कहावत सुनी थी, ”एक अनार सौ बीमार”.आज उसे देख रहे हैं. हालाकिं ये बीजेपी का अंदरूनी मामला है लेकिन जिस तरीके से केवल एक राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी ने 25 नामों का पैनल रखा है. वो बीजेपी के भीतर भयंकर गुटबाज़ी और नेताओं के बीच लड़ाई को प्रदर्शित करता है.