न्यूयार्क। संयुक्त राष्ट्र में पहली बार भारत ने हिंदू, बौद्ध और सिख फोबिया पर गंभीर चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने वैश्विक आतंकवाद रोधी परिषद द्वारा ‘आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2022’ में कहा कि धार्मिक भय के समकालीन रूपों का उदय, विशेष रूप से हिंदू, बौद्ध और सिख विरोधी भय गंभीर चिंता का विषय है, और इस खतरे को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और सभी सदस्य राज्यों के ध्यान की आवश्यकता है.

भारत ने ‘अपने राजनीतिक, धार्मिक एवं अन्य मकसदों’ के चलते आतंकवाद का वर्गीकरण करने की संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों की प्रवृत्ति को मंगलवार को ‘खतरनाक’ करार दिया. भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक और प्रवृत्ति जो हाल ही में प्रमुख हो गई है, कुछ धार्मिक भय को उजागर कर रही है. संयुक्त राष्ट्र ने पिछले कुछ वर्षों में उनमें से कुछ पर प्रकाश डाला है, अर्थात् इस्लामोफोबिया, क्रिश्चियनोफोबिया और यहूदी-विरोधी – तीन अब्राहमिक धर्मों पर आधारित. इन तीनों का उल्लेख ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म स्ट्रैटेजी में मिलता है. लेकिन दुनिया के अन्य प्रमुख धर्मों के प्रति नए भय, घृणा या पूर्वाग्रह को भी पूरी तरह से पहचानने की जरूरत है.

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि आतंकवादी प्रचार, कट्टरता और कैडर की भर्ती के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग; आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए नई भुगतान विधियों और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग; और आतंकवादी उद्देश्यों के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग आतंकवाद के सबसे गंभीर खतरों के रूप में उभरा है और आगे चलकर आतंकवाद विरोधी प्रतिमान तय करेगा.

टीएस तिरुमूर्ति ने सम्मेलन में कहा कि अपने राजनीतिक, धार्मिक एवं अन्य मकसदों’ के चलते संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों की कट्टरपंथ से प्रेरित हिंसक अतिवादी और दक्षिणपंथी अतिवादी जैसे वर्गों में आतंकवाद का वर्गीकरण करने की प्रवृत्ति खतरनाक है, और यह दुनिया को 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए हमलों से पहले की उस स्थिति में ले जाएगी, जब ‘आपके आतंकवादी’ और ‘मेरे आतंकवादी’ के रूप में आतंकवादियों का वर्गीकरण किया जाता था.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रवृत्ति हाल में अपनाई गई वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के तहत संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत कुछ सिद्धांतों के विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि यह रणनीति स्पष्ट करती है कि हर तरह के आतंकवाद की निंदा की जानी चाहिए और आतंकवाद को किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि यह अनिवार्य रूप से इस तरह के कृत्यों के पीछे की मंशा के आधार पर आतंकवाद और आतंकवाद के लिए अनुकूल हिंसक उग्रवाद को वर्गीकृत करने के लिए एक कदम है.