धमतरी. अपने संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए हलषष्ठी के पावन पर्व हर साल माताएं उपवास रखती हैं. इस साल ये पर्व शनिवार को मनाया जा रहा है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सगरी और भगवान शिव की पूजा करती हैं. वहीं, पूजा के बाद पसहर चावल का सेवन करके अपना उपवास तोड़ती हैं.

इसी कड़ी में हलषष्ठी पर्व जिले में धूमधाम के साथ मनाया गया. यहां की महिलाओं ने हलषष्ठी के पर्व पर व्रत रखकर सगरी में जल अर्पित किया और भगवान शिव की विशेष पूजा की. पूजा पाठ की तैयारी को लेकर महिलाएं सुबह से ही जुटी रहीं. वहीं, पूजा पूरी हो जाने के बाद महिलाओं ने पसहर चावल का सेवन करके अपना उपवास तोड़ा.

इसे भी पढ़ें – छत्तीसगढ़ : सड़क धंसने से लगा लंबा जाम, हादसे की आशंका 

बता दें कि हलषष्ठी के दिन को प्रमुख रुप से भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर संतानधारी महिलाओं ने व्रत रखा और घरों के अलावा मंदिरों में भी पूजा पाठ किया. व्रती माताओं ने घर व मंदिर के सामने सगरी का निर्माण किया, जिसमें नदी, पर्वत की आकृति भी अंकित थी.

महिलाओं ने बताया कि कमरछठ पर्व पर संतान की लंबी आयु के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन महिलाएं सुबह स्नान-ध्यान कर सामूहिक रुप से सगरी में जल अर्पित कर आरती करती हैं और संतान की लंबी उम्र की कामना करती है.

इसे भी पढ़ें – बदलता बस्तर : असल नायकों का न्यूज 24 और लल्लूराम डॉट कॉम कर रहा सम्मान, देखिए LIVE… 

वहीं, हलषष्ठी के इस पर्व को मनाने के लिए मधु तिवारी, कविता कांगे, उमेश्वरी साहू, पुष्पा पैकरा, कल्याणी सिन्हा, रुपाली सिन्हा, जमुना पटेल, भागेश्वरी साहू, पोमिन साहू, करिश्मा तुर्या, विश्वास ध्रुव, पूजा साहू, दमयंती मंडावी, जानकी नेताम, कालिन्द्री साहू, दुलारी शामिल थीं.

हल की पूजा का प्रावधान

पंडित नरेंद्र त्रिवेदी के अनुसार भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म इसी दिन हुआ था. इस अवसर पर उनके साथ उनके हल व बैल की भी पूजा की जाती है. पूजा के बाद व्रत पारणा में भी हल से उपजे अन्न का उपयोग नहीं किया जाता. इसलिए कमरछठ व्रत रखने वाली माताएं बिना हल चली जमीन पर पैदा होने वाले पसहर चांवल का सेवन का उपवास तोड़ती हैं.