रायपुर। स्वास्थ्य विभाग की टीम पौने तीन लाख से अधिक घरों में पहुंचकर करीब 14 लाख लोगों के खून की जांच कर मलेरिया पाए जाने पर त्वरित इलाज उपलब्ध कराएगी। हर घर के साथ ही स्कूलों, आश्रम-छात्रावासों और पैरा-मिलेट्री कैंपों में भी मलेरिया की जांच की जाएगी। बस्तर को मलेरिया मुक्त करने स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15 जनवरी से 14 फरवरी 2020 तक ‘मलेरियामुक्त बस्तर अभियान’ चलाया जाएगा।
बस्तर संभाग के 26 विकासखंडों में यह गहन अभियान संचालित किया जाएगा। दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिले के सभी विकासखंडों में तथा बस्तर जिले के बड़े किलेपाल, तोकापाल व दरभा विकासखंड के पूरे क्षेत्र में व लोहंडीगुड़ा, नानगूर और बस्तर विकासखंड के 15 उपस्वास्थ्य केंद्रों में, कांकेर के भानुप्रतापपुर, दुर्गकोंदल और कोयलीबेड़ा के 10 उपस्वास्थ्य केंद्रों में एवं कोंडागांव जिले के माकड़ी, केशकाल, कोंडागांव और फरसगांव विकासखंड के 14 उपस्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में यह अभियान चलाया जाएगा। संभाग के 26 विकासखंडों के कुल 430 उपस्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से एक हजार 823 गांवों में मलेरिया की पहचान और इलाज किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने मलेरिया से होने वाली मौतों को गंभीरता से लेने और इस अभियान को जन अभियान के रूप में विस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभिन्न विभागों के मैदानी अमले के साथ अंतर्विभागीय समन्वय सुनिश्चित करते हुए इस महत्वाकांक्षी अभियान के दायरे में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने कहा है। बस्तर अंचल को मलेरिया से मुक्त करने इस अभियान का दूसरा चरण इस साल मानसून के पहले मई-जून में और तीसरा चरण मानसून के बाद साल के अंत में दिसम्बर-जनवरी में संचालित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बस्तर में मलेरिया के 64 प्रतिशत मामले अभियान में शामिल 26 विकासखंडो से ही आते हैं। इन इलाकों में मलेरिया के नियंत्रण से पूरे बस्तर को मलेरियामुक्त किया जा सकेगा।
मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन के साथ ही एनिमिया, शिशु मृत्युदर, मातृ मृत्युदर और कुपोषण दूर करने पर भी फोकस किया जाएगा। 15 जनवरी से शुरू हो रहे इस अभियान के पहले चरण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक हजार 720 दलों का गठन किया गया है। प्रत्येक उपस्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को शामिल कर चार जांच दलों का गठन किया गया है। ये दल बस्तर के दो लाख 75 हजार 770 घरों में 13 लाख 79 हजार लोगों के बीच पहुंचकर मलेरिया की जांच करेगी। मलेरिया पाए जाने पर दवाईयां देकर तत्काल इलाज भी शुरू किया जाएगा।
अभियान के दौरान मच्छर पनपने की जगहों की साफ-सफाई और दवाई के छिड़काव के साथ ही लोगों को मच्छरदानी के उपयोग के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। एनिमिया व कुपोषण दूर करने तथा त्वरित उपचार के लिए मलेरिया की दवाई के सेवन से पूर्व लोगों को रेडी-टू-ईट खाद्य सामग्री भी दी जाएगी। इसके लिए स्वसहायता समूहों और जिला प्रशासन का सहयोग लिया जाएगा। इस व्यापक अभियान की सफलता सुनिश्चित करने महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, आदिम जाति कल्याण एवं मछलीपालन विभाग का मैदानी अमला भी सक्रियता से काम करेगा।