नई दिल्ली। विदेशी राजनयिकों का एक समूह इस सप्ताह के अंत में जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा, ताकि केंद्र शासित प्रदेश में चल रहे चुनावों को प्रत्यक्ष रूप से देख सके. भारत सरकार द्वारा आयोजित यह दौरा साल 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक व्यापक कूटनीतिक पहल का हिस्सा है.

विधानसभा चुनावों को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि वे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को हटाने और राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित करने के बाद से पहले चुनाव हैं.

जम्मू-कश्मीर में चुनाव 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में होंगे. पहले चरण में 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 24 के लिए मतदान हुआ, जिसमें भारी मतदान को देखने को मिला. ये राजनयिक जम्मू-कश्मीर में तब आएंगे जब केंद्र शासित प्रदेश 25 अक्टूबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए तैयार हो रहा है.

यह पहली बार नहीं है जब भारत विदेशी राजनयिकों को इस क्षेत्र में लेकर गया है. भारत ने आधे दशक पहले विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई विदेशी दूतों की यात्राएं आयोजित की थीं. इन यात्राओं का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि क्षेत्र सामान्य स्थिति और विकास की ओर बढ़ रहा है.