Foreign Investor Investment: शेयर बाजार में पिछले 6 कारोबारी सत्रों के दौरान विदेशी निवेशकों ने करीब 31,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार का सेंटिमेंट बेहतर हुआ है. इसके पीछे मुख्य वजह आकर्षक वैल्यूएशन, डॉलर में गिरावट और मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक इंडिकेटर्स रहे. इस फ्लो की वजह से निफ्टी में 6 फीसदी का उछाल आया है.

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मार्च में 3,973 करोड़ रुपये की निकासी (Foreign Investor Investment)

हालांकि, मार्च महीने में एफपीआई द्वारा कुल 3,973 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई है, लेकिन महीने के आखिरी हफ्ते में हुए इस भारी निवेश ने पहले के मुकाबले आंकड़ों को बेहतर किया है.

इससे पहले जनवरी में एफपीआई ने 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी, जबकि फरवरी में यह आंकड़ा 34,574 करोड़ रुपये का था. वहीं, अब मार्च महीने में कुल निकासी घटकर 3,973 करोड़ रुपये रह गई है, जो बाजार के लिए अच्छा संकेत है.

इस वजह से बढ़ा निवेश (Foreign Investor Investment)

विदेशी निवेशकों के वापस लौटने के पीछे कई अहम वजहें हैं. एफपीआई ने भारतीय शेयरों की फिर से खरीद शुरू कर दी, खासतौर पर तब जब बाजार में 16 फीसदी की गिरावट आई.

इसके अलावा रुपये में हाल ही में हुए सुधार, जीडीपी में बढ़ोतरी, औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) और खुदरा महंगाई (सीपीआई) के अच्छे आंकड़ों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है. इन वजहों से निवेशकों को फिर से भारतीय बाजार में लौटने के लिए मजबूती मिली.

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सेबी के उपायों ने बदला सेंटिमेंट (Foreign Investor Investment)

सेबी द्वारा हाल ही में उठाए गए कुछ अहम कदमों ने भी विदेशी निवेशकों के निवेश को बढ़ावा दिया. सेबी ने कुछ बैंकों द्वारा पी-नोट्स ट्रेड पर उठाए गए कदमों को ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा सीमा 25,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये कर दी.

इससे एफपीआई को अपनी हिस्सेदारी और निवेश की रिपोर्टिंग में ज्यादा स्पष्टता मिलेगी, जो उनके लिए सकारात्मक कदम है.

ये कारक होंगे अहम (Foreign Investor Investment)

आपको बता दें कि आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों के प्रवाह की दिशा कुछ मुख्य कारकों पर निर्भर करेगी, जिसमें 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का प्रभाव अहम होगा. अगर टैरिफ में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होती है तो भारतीय बाजार में एफपीआई का निवेश प्रवाह जारी रह सकता है.

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