Lalluram Desk. नवंबर का दूसरा पखवाड़ा भारतीय शेयर बाज़ार में विदेशी निवेशकों (FIIs) के मूड का बिल्कुल अलग चेहरा दिखा गया. जिन सेक्टर्स पर महीनों से निवेशकों का भरोसा बना हुआ था, वहीं अब वही सेक्टर भारी दबाव में दिखे—और जिन सेक्टर्स को कभी साइड-लाइन माना जाता था, वे अचानक से FII निवेश के सबसे बड़े केंद्र बन गए.

यह उतार–चढ़ाव सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि बाज़ार की नब्ज़ में आ रहे बदलाव की झलक भी है.

FMCG: लगातार दूसरे पखवाड़े भी दबाव, सबसे तेज़ बिकवाली

जब आमतौर पर माना जाता है कि FMCG बाजार की सबसे सुरक्षित शरणस्थली है, उसी सेक्टर पर विदेशी निवेशक दो बार टूट पड़े. नवंबर के दूसरे हिस्से में FIIs ने ₹2,722 करोड़ के FMCG शेयर बेच डाले. इससे पहले पहले पखवाड़े में भी वे ₹2,040 करोड़ निकाल चुके थे. मानो निवेशकों ने साफ संदेश दे दिया कि मंदी के डर और मार्जिन पर दबाव के बीच अब डिफेंसिव सेक्टर भी सुरक्षित नहीं.

ऑटो सेक्टर में भी रफ्तार धीमी, बिकवाली जारी

मांग मजबूत होने के बावजूद ऑटो शेयर निवेशकों को लुभा नहीं पाए. FIIs ने दूसरे पखवाड़े में ₹1,257 करोड़ की बिकवाली की. पहले हिस्से में भी ₹385 करोड़ की निकासी देखी गई थी. इसका संकेत सीधा है कि निवेशक EV ट्रांजिशन, कमोडिटी कीमतों और ग्लोबल मंदी की चिंता से सतर्क हैं.

फाइनेंशियल सेक्टर: सबसे चौंकाने वाला ट्रेंड

एक समय भारतीय बाज़ार की रीढ़ माने जाने वाला बैंकिंग/फाइनेंस सेक्टर भी FII भरोसा हासिल नहीं कर पाया.दूसरे पखवाड़े में ₹1,137 करोड़ की बिकवाली हुई. पहले हिस्से में इससे दोगुनी निकासी—₹2,041 करोड़—देखी गई थी. यह ट्रेंड दर्शाता है कि ग्लोबल बॉन्ड यील्ड्स, ब्याज दरें और क्रेडिट ग्रोथ के अनुमान निवेशकों को बेचैन कर रहे हैं.

आईटी सेक्टर: मंदी की दस्तक का सबसे बड़ा असर

आईटी शेयरों पर विदेशी निवेशकों की धार लगातार नकारात्मक बनी हुई है. दूसरे पखवाड़े में ₹921 करोड़ की बिकवाली हुई. लेकिन असली झटका था पहले हिस्से की भारी निकासी—₹4,873 करोड़.

ग्लोबल टेक स्पेंडिंग में सुस्ती और अमेरिकी कंपनियों के बजट कटौती की आहट अब भारतीय आईटी वैल्यूएशन पर साफ असर डाल रही है.

अब बात खरीदारी की—जहां से FIIs ने खुलकर दांव लगाया

टेलीकॉम: नवंबर की सबसे बड़ी पसंद

यह सेक्टर विदेशी निवेशकों के लिए ‘हॉट स्पॉट’ बन गया है. दूसरे पखवाड़े में ₹4,913 करोड़ का निवेश हुआ. पहले हिस्से में भी इस सेक्टर में ₹9,413 करोड़ की भारी खरीदारी हुई थी. कारण साफ है कि 5G रोलआउट, ARPU में बढ़त और कर्ज घटाने की रणनीति इस सेक्टर को आकर्षक बना रही है.

ऑयल एंड गैस: ऊर्जा सेक्टर में फिर से भरोसा

दूसरे पखवाड़े में FIIs ने ₹4,177 करोड़ झोंक दिए. पहले हिस्से में भी ₹2,992 करोड़ की खरीदारी हुई थी. क्रूड कीमतों में नरमी और सरकारी नीतियों की स्थिरता इस सेक्टर को नई चमक दे रही है.

कैपिटल गुड्स: फैसिलिटी निर्माण और इंफ्रा का बल

इस सेक्टर में FIIs ने दूसरे हिस्से में ₹1,707 करोड़ की नेट खरीदारी की. यह पहले पखवाड़े की ₹788 करोड़ की खरीदारी से दोगुना से भी अधिक है. यह साफ संकेत है कि निवेशक अब भारत के लंबे इंफ्रा साइकिल पर बड़ा दांव लगा रहे हैं.

कुछ सेक्टर्स में ट्रेंड ने किया चौंका दिया. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स: बिकवाली से खरीदारी की ओर पलटाव. पहले पखवाड़े में जहां ₹1,379 करोड़ की बिकवाली थी. वहीं दूसरे पखवाड़े में FIIs ने ₹1,273 करोड़ की खरीदारी कर ली. यह पलटाव बताता है कि त्योहारी मांग और मार्जिन सुधार ने निवेशकों को फिर आकर्षित किया.

हेल्थकेयर: भारी सेलिंग से शुद्ध खरीदारी तक का सफर

पहले पखवाड़े में ₹2,526 करोड़ की बिकवाली, लेकिन दूसरे पखवाड़े में ₹743 करोड़ की खरीदारी. यह शायद संकेत है कि फार्मा स्टॉक्स की वैल्यूएशन अब निवेशकों को सस्ते और आकर्षक लगने लगे हैं.

मेटल्स: पहला पखवाड़ा पॉजिटिव, दूसरा ने तोड़ी चमक

पहले हिस्से में ₹236 करोड़ की खरीदारी, दूसरे हिस्से में ₹1,045 करोड़ की बिक्री. चीन की मांग में सुस्ती और ग्लोबल कमोडिटी दबाव ने निवेशकों को सतर्क कर दिया. बाज़ार में संदेश साफ—निवेशकों की रणनीति बदल रही है

नवंबर का यह डेटा बताता है कि विदेशी निवेशक अब सुरक्षित सेक्टर्स से पैसा निकालकर ‘हाई ग्रोथ’ सेक्टर्स पर दांव लगा रहे हैं. जहां एक ओर FMCG, फाइनेंस और आईटी जैसे दिग्गज सेक्टर दबाव में हैं, वहीं दूसरी ओर टेलीकॉम, ऑयल एंड गैस और कैपिटल गुड्स नए स्टार परफॉर्मर बनकर उभर रहे हैं.