अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को सीधे निशाने पर लिया है. इसके जवाब में अब भारत ने दो टूक जवाब दिया है। MEA ने अपने जवाब में कहा है कि, भारत पर लग रहे आरोप बेबुनियाद हैं। हमपर आरोप लगाने वाले देश खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे है। जो देश आरोप लगा रहे हैं वे खुद को देखें। MEA ने कहा कि, EU रूस के साथ 67.5 बिलियन डॉलर्स का व्यापार कर रहा है। MEA ने आगे कहा कि, भारत अपने हितों के लिए जरुरी कदम उठाएगा। MEA ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए कहा है कि, भारत को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। वहीं अब इस मामले में विदेश मंत्री ने साफ़ कहा है कि, अब कुछ देशों की दबदबे वाली व्यवस्था अब नहीं चलेगी।
क्या है पूरा विवाद ?
बता दें कि, 25% टैरिफ लगाने के बाद अब एक बार फिर ट्रंप ने भारत पर और टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, भारत ना केवल रुस से तेल खरीदता है, फिर उसे खुले बाजार में बेचकर मोटा मुनाफा कमाता है। उसे इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी वॉर मशीन से यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं. इस वजह से मैं भारत पर और टैरिफ लगाऊंगा.
टैरिफ के विरोध में श्रमिक संगठनों और किसान मोर्चा ने किया प्रदर्शन का ऐलान
वहीं अब देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों और भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) के खिलाफ 13 अगस्त 2025 को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. दिल्ली में जारी एक साझा बयान में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को कहा, ‘दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा का समन्वय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने और रूस के साथ तेल व्यापार समझौते पर दंडात्मक कर लगाने की हालिया धमकियों की कड़ी निंदा करता है.
रूस के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को लेकर ट्रंप भारत पर हुक्म चलाने के उद्देश्य से आर्थिक दबाव बना रहे हैं. ये आक्रामक कदम अमेरिकी व्यापार नीतियों के पाखंड को उजागर करते है, जो अमेरिकी निगमों के लिए खुले बाजारों की मांग करते हैं, जबकि संप्रभु राष्ट्रों को धमकाने के लिए टैरिफ को हथियार बनाते हैं.
केंद्रीय ट्रेड यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि इस प्रतिरोध दिवस में किसानों, मजदूरों और छात्रों को शामिल किया जाएगा. ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल रैलियों, विरोध प्रदर्शन, जनसभाएं और विभिन्न मंचों व सहयोगी संगठनों द्वारा तय किए गए विरोध के अन्य कार्यक्रमों के जरिए देशभर में विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी है.
इन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि
- भारत को ट्रंप की टैरिफ धमकियों को अस्वीकार करना चाहिए और रूस सहित सभी देशों के साथ व्यापार करने के अपने संप्रभु अधिकार का दावा करना चाहिए.
- भारत-यूके सीईटीए की तुरंत समीक्षा और संशोधन किया जाना चाहिए.
- कॉर्पोरेट शोषण को रोकने के लिए अमेरिका-भारत व्यापार समझौते के लिए सभी आगे की बातचीत रोक दी जानी चाहिए.
- अब कोई गुप्त व्यापार समझौते नहीं किए जाएं ; भविष्य के सभी समझौतों की पूर्ण संसदीय जांच और सार्वजनिक परामर्श से गुजरना होगा.
इसके अलावा भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में हुए व्यापार समझौते के प्रावधानों में बदलाव कर उसे भारतीय हितों के अनुरूप बनाने की मांग भी की गई है. इस दिन ट्रैक्टर-रैली, मोटरसाइकिल जुलूस, प्रदर्शन, जनसभाएं और अन्य तरीके से विरोध दर्ज कराया जाएगा. बयान के मुताबिक, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर जारी सभी वार्ताएं रोकी जानी चाहिए और भविष्य के किसी भी व्यापार समझौते को संसद की समीक्षा और सार्वजनिक विमर्श के बाद ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
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