पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। गरियाबन्द-धवलपुर रेंज में जिन तीन तालाबों के लिये 45 लाख स्वीकृति दी गई थी, उसे नियम ताक में रख कर आधी कीमत से भी कम में खोद दिया गया. रेंजर ने मजदूरों की बजाए जेसीबी से तालाब खुदवाया, वहीं नेतागिरी न हो इसके लिए राजनीतिक दलों के समर्थक ठेकेदारों की जेसीबी का इस्तेमाल किया, लेकिन मजदूरों के हक छिनते देख इसकी गड़बड़ी की शिकायत प्रभारी मंत्री गुरू रूद्र कुमार के अलावा चुनाव आयोग से करते हुए जांच की मांग की है.

कांग्रेस के असंगठित कर्मकार मजदूर यूनियन के जिला अध्यक्ष सुरेश मानिकपुरी ने प्रभारी मंत्री गुरू रूद्र कुमार को लिखे शिकायत पत्र में बताया कि धवलपुर रेंज के कक्ष क्रमांक 849, 850 व 854 में वन्यप्राणियों के पेय जल के लिए तालाब निर्माण की स्वीकृति कैम्पा मद के तहत मिली थी. एक तालाब के लिए 15 लाख की लागत से कुल 45 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी. आरोप है कि मार्च में पैसे लेप्स हो जाता इसलिए काम कराने से पहले ही इसकी राशि चार्ज कर निकाल ली गई. मंडल अधिकारी बदल गए थे, काम भी दिखाना इसलिए इस तीनों काम को अचार संहिता के बावजूद अप्रैल माह में 20 से 25 दिन के भीतर आनन-फानन में पोकलेन मशीन से पूरा कराया गया. मानिकपुरी ने कहा कि जल्द ही मजदूरों का एक प्रतिनिधि मंडल वन मंत्री मोहम्मद अकबर से भेंट कर घपलेबाजों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग करेगा.

 

तकनीकी मापदण्डों का पालन नहीं

मजदूरों के बजाय मशीन का इस्तेमाल तो किया ही गया है. वहीं स्वीकृत प्राक्कलन के मुताबिक 60 मीटर लम्बा 60 मीटर चौड़ा व 6 फीट गहरा तालाब खोदना था, लेकिन एक भी तालाब इस मापदण्ड में नही बना है, और पूरी राशि निकाल ली गई है. इसमें एक तालाब को नाले की गहराई में बना दिया गया है. वहीं शिकायतकर्ता का दावा है कि तालाब खनन का काम केवल जेबें भरने के लिये किया गया है. तालाब को वन्य प्राणियों को पेय जल उपलब्ध कराने के नाम पर बनाया गया है, जबकि 850 कक्ष क्रमांक नेशनल हाइवे से लगा है, 854 में आबादी की आवाजाही है, यहां पर मौजूद नाले का उपयोग निस्तारी के लिए किया जाता है. गांव से लगे इन क्षेत्र में कभी किसी ने जंगली जानवर नहीं देखा है. ऐसे में तालाब खुदाई पर सवाल उठना जायज है. 849 कक्ष सिकासेर बांध का डुबान क्षेत्र में आता है, इस लिहाज से यहां तालाब की जरूरत ही नहीं थी.

विशालकाय पेड़ों को किया धराशायी

वन विभाग को मूलतः पेड़ों की रक्षा व जंगल बढ़ाने की जवाबदारी है, लेकिन इन तीन तालाबों के खनन के नाम पर साल के 50 से भी ज्यादा बड़े पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई है. रात को पेड़ों को गिराकर निर्माणधीन तालाबों के किनारे एकत्र किया गया. आनन-फानन में इसके ऊपर मिट्टी डाल कर मेढ़ बना दिया गया है. मामले में प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी उदा राम ध्रुव से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. वहीं डीएफओ जेआर भगत ने कहा कि तालाब निर्माण चयनित स्थल पर सही तरीके से किया गया है. जंगल में नाला कन्हा से आएगा. हमने स्थल का जांच भी किया है, वहां किसी तरह से पेड़ों की कटाई या नुकसान नही किया गया है, पेड़ यथावत है.