अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में बाघों की सुरक्षा में कर्मचारियों की कमी परेशानी बन गई है। कर्मचारी बाघों की सुरक्षा करें या खुद की इस असमंजस में फंसे है। प्रदेश में वन रक्षक और वनपाल के 1700- 1700 पद खाली है।प्रदेश में वन क्षेत्रपाल की भी 714 पद खाली है।
बता दें कि वन रक्षक और वनपाल के हाथों पर बाघों की सुरक्षा का जिम्मा होता है। टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क और अभयारण्य में सुरक्षानहीं हो पा रही है। लगातार हमलों से कर्मचारियों को जान जोखिम में होने का डर सताते रहता है। विदिशा के लिए टेरी में हुए गोलीकांड के बाद कर्मचारियों को डर सताता है। सुरक्षा कर्मी कई गिरोह और शिकारियों के निशाने पर आ जाते हैं। कर्मचारी शिकार के लिए बिछाए हुए जाल में कई बार खुद बुरी तरह फंस जाते हैं। कर्मचारी राजनीतिक सहयोग न मिलने से दुखी है।
कर्मचारी नेता संघ के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में एक भी वनकर्मी बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है। सरकार वन कर्मियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बना रही है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अगर सुरक्षा करवाना है तो अत्याधुनिक हथियार दिए जाए। कब तक वनकर्मी एक डंडे के भरोसे बाघों और जानवरों की सुरक्षा करेंगे। एक साल में करीब 60 से भी ज़्यादा वन कर्मियों पर हमले हो चुके हैं। विदिशा लटेरी कांड में फैसला आने के बाद से अपराधियों के हौसले और बुलंद हो गए हैं।वनकर्मी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सरकार इस दिशा में कोई भी अच्छा काम नहीं कर रही है।
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