लखनऊ। एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए फर्जी डिग्री, अंकपत्र और प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए आलमबाग से तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से कंप्यूटर उपकरण व हजारों की मात्रा में फर्जी दस्तावेज मिले हैं। तीनों के खिलाफ आलमबाग कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर उन्हें पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि काफी समय से स्कूल-कॉलेज, विभिन्न विश्वविद्यालयों, व्यवसायिक तथा खेल प्रतिष्ठानों के फर्जी अंकपत्र, प्रमाणपत्र और डिग्री बांटने वाले गिरोह की सूचनाएं मिल रही थीं। टीम बनाकर छानबीन शुरू की गई तो पता चला कि आलमबाग में ओम दादा नाम का व्यक्ति फर्जी दस्तावेज बनाकर मुंहमांगे दामों में बेचता है। एसटीएफ की टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। उसका असली नाम सुनील कुमार शर्मा है और वह मूलरूप से प्रतापगढ़ के कुंडा स्थित गढ़ी मानिकपुर के बभनपुर गांव का रहने वाला है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव ने आगे बताया कि यहां वह बड़ा बरहा में ही रहकर फर्जी प्रमाणपत्र बनाता था। इस काम में उसके साथ बिहार के सिवान स्थित जलालपुर दरौंध गांव निवासी व यहां आलमबाग के विराटनगर में रहने वाले लल्लन कुमार सिंह और प्रयागराज के अशोक मार्ग के रहने वाले व सदर के पुराना किला में रह रहे विश्वजीत कुमार श्रीवास्तव भी शामिल थे।
पूछताछ में तीनों ने कई साल से जाली दस्तावेज बनाना कबूला है। शातिरों के कमरे से कंप्यूटर, स्टैम्प, नंबर मशीन, प्रिंटर और इंक पैड समेत अन्य सामान मिले हैं। पुलिस टीम में उपनिरीक्षक पवन कुमार सिंह, आरक्षी आलोक पांडेय, रमाशंकर चौधरी, श्रीकृष्ण गिरि, शैलेंद्र, सूरज कुमार, राघवेंद्र तिवारी शामिल थे।
डिग्री-मार्कशीट से माइग्रेशन और बैंकों की एफडीआर तक बनाते थे. ओम दादा और उसके साथी न सिर्फ विश्वविद्यालयों व स्कूल-कॉलेज की डिग्री और अंकपत्र बनाते थे, बल्कि माइग्रेशन प्रमाणपत्र और बैंकों की एफडीआर भी तैयार करते थे। उनके पास से बैंक ऑफ बड़ौदा की छह एफडीआर मिली हैं।