शिवम मिश्रा, रायपुर। राजधानी रायपुर में बड़े पैमाने पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 25 तरह के लोन लेने का मामला सामने आया है, जिसमें लगभग 10 करोड़ रुपए की ठगी की गई है. आरोपी बहुत ही शातिर तरीके से इस पूरे वारदात को अंजाम देते थे. मामले में पुलिस ने 9 आरोपियों की गिरफ्तारी की है.
घटना के मास्टर माइंड टी सुशील राव और सुनील सोनी खमतराई के रहने वाले है, जो बीते तीन वर्षों से फर्जी लोन लेने का सिलसिला इस तरह से चला रहे थे कि किसी को भनक तक नहीं लगी. टी सुशील राव के द्वारा फर्जी दस्तावेज, फर्जी पहचान पत्र, फर्जी रेलवे पे-स्लिप और फर्जी आईडी कार्ड बनाने का काम करता था, वहीं सुनील सोनी बैंक से लोन लेने का काम करता था.
इस मामले में रेलवे कर्मचारी टी श्रीधर की भी संलिप्तता पाई गई है, जो फर्जी लोन के लिए रेलवेकर्मियों के दस्तावेजों का जुगाड़ करता था. एक ही व्यक्ति अलग-अलग बैंक से अलग-अलग नामों से लोन लेता था. दस्तावेज में नाम किसी और का, फोटो किसी दूसरे व्यक्ति की साथ ही फर्जी रजिस्ट्री पेपर लगाकर बैंक लोन पास कराया जाता था. अधिकांश फर्जी लोन के प्रकरण रेलवे कर्मचारियों से ही संबंधित पाए गए है.
रेलवे कर्मचारी के नाम के साथ ही कई अन्य लोगों के नाम से लोन स्वीकृत कराया गया, जिन्हे अब तक ये जानकारी भी नहीं है कि उनके नाम और दस्तावेज के आधार पर लोन लिया जा रहा है. मामले की जांच के लिए एसएसपी आरिफ एच शेख और एएसपी अपराध पंकज चन्द्रा, सीएसपी उरला अभिषेक माहेश्वरी के नेतृत्व में डीएसपी कल्पना वर्मा, थाना प्रभारी सिविल लाइन, आजाद चौक, देवेन्द्र नगर एवं खम्हारडीह की विशेष टीम का गठन कर जांच का जिम्मा सौंपा.
जांच में मिले सबूतों के आधार पर 9 आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली गई है, जिनके नाम दोषपति श्रीधर, रमन्ना नाडूपुडू, सुनील सोनी, प्रणय सखारे, रामकरण बाघमारे, इमरान खान, इंदुपति श्रीधर, कृष्णा शंकर मिश्रा, सुशील राव को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 2 लाख 76 हजार 500 रुपए जब्त किए. फिलहाल लोन स्वीकृत कराने वाले बैंक के कर्मचारियों की भूमिका की विस्तृत जांच की जा रही है. जांच में बैंक कर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. वैल्यूर एवं सर्च रिपोर्ट तैयार करने वाले व्यक्तियों के भूमिका की जांच भी की जा रही है.