आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। जगदलपुर शहर के दलपत सागर वार्ड में पिछले 2 साल से अवैध रूप से संचालित माँ दंतेश्वरी ट्रामा एन्ड क्रिटिकल केयर अस्पताल को लेकर लल्लूराम लगातार खबर प्रकाशित कर रहा है मृत व्यक्ति के नाम से संचालित हो रहे इस अस्पताल पर खबर प्रकाशित करने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जरूर जागे और इस अस्पताल में टीम बनाकर जांच करने भी पहुंचे, जांच में कई खामियां पाए जाने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के जांच अधिकारियों ने अस्पताल प्रबंधन पर केवल 20 हजार का जुर्माना लगाकर खानापूर्ति कर ली.
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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ .संजय बसाख ने बताया कि अस्पताल के खिलाफ लिखित शिकायत मिली थी कि अस्पताल अवैध रूप से संचालित हो रहा है. इसकी जांच के लिए टीम पहुंची और निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अस्पताल के संचालक के मृत्यु के बाद भी नर्सिंग होम एक्ट के तहत स्वास्थ विभाग कार्यालय को कोई भी सूचना नहीं दी गई, ना ही इस अस्पताल से संबंधित संचालकों के द्वारा लाइसेंस नवीनीकरण की कोई भी आवेदन इस कार्यालय में जमा किया गया.
जांच में पाया गया कि अस्पताल में कोई भी वैध संचालक नहीं है जो कि छत्तीसगढ़ राज्य उपचार्यगृह और रोगोपचार संबंधी स्थापनाए अनुज्ञापन अधिनियम -2013 अनुसार नर्सिंग होम एक्ट के तहत उल्लंघन की श्रेणी में आता है, इस कारणवश छत्तीसगढ़ राज्य उपचार्यगृह और रोगोपचार संबंधी स्थापना अनुज्ञापन अधिनियम 2013 में निहित एक्ट का उल्लंघन किए जाने के चलते नियम अनुसार 20 हजार रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया है, इसके साथ ही स्टांप पेपर में शपथ पत्र अधोहस्ताक्षरकर्ता के समक्ष प्रस्तुत करने और भविष्य में ऐसा करने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं, साथ ही जुर्माने की राशि डीडी के माध्यम से कार्यालय में 7 दिवस के अंदर जमा करने का आदेश दिया गया है.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि अवैध रूप से संचालन के लिए केवल 20 हजार जुर्माने का ही अधिकार है, वहीं जिले में अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों में बिना लाइसेंस और अवैध रूप से चल रहे क्लीनिक और अस्पताल को तत्काल सील करने के सवाल पर मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा बिना लाइसेंस और अवैध रूप से चला रहे क्लीनिक और अस्पतालों को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाता है, वहीं इस अस्पताल को कथित रूप से दो सरकारी डॉक्टर के द्वारा संचालन किये जाने की वजह से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अवैध रूप से अस्पताल संचालन होने की पुष्टि होने के बाद भी इस अस्पताल को सील करने की कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है. खास बात यह है कि इस अस्पताल में इलाज के नाम पर मरीजों से लिए जाने वाले पैसों का जरूर पार्टनरशिप में बंदरबांट चल रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, डॉ. लखन ठाकुर की पत्नी अनीता ठाकुर और डॉ. वीरेंद्र ध्रुव के बेटे कृतिश ध्रुव को चेक में हस्ताक्षर करने और पैसे निकालने का पॉवर दिया गया है, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग कार्यालय में भी नहीं दी गई है. पिछले 2 साल से अवैध रूप से इस अस्पताल का दोनों सरकारी डॉक्टर संचालन कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अवैध रूप से चल रहे इस अस्पताल और डॉक्टर के द्वारा की गई इतनी बड़ी लापरवाही पर केवल 20 हजार जुर्माना कर खानापूर्ति कर रहे हैं.
खास बात यह है कि इस अस्पताल में गई जांच टीम ने यहां भर्ती मरीजों से ना ही कोई बातचीत की और ना ही यहां मशीनों की जांच की, लल्लूराम डॉट कॉम को मिले पड़ताल में जिन मशीनों के नाम पर इस अस्पताल को चलाने के लिए 2022 में लाइसेंस लिया गया था. ऐसी कोई भी मशीन (उपकरण) अस्पताल में मौजूद नहीं है. ऑपरेशन करने के नाम पर मरीज से केवल मोटी रकम ली जा रही है.
इधर एक्सपर्ट की माने तो नर्सिंग होम एक्ट के तहत अवैध रूप से चल रहे इस अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील करना चाहिए ना ही उन्हें दस्तावेज बनाने का समय देना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम केवल जांच के नाम पर और कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर रही है. लिहाजा अभी भी मृत व्यक्ति के नाम पर ही यह अस्पताल संचालित हो रहा है.
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