Formation of Moon : पृथ्वी के चंद्रमा का निर्माण (Formation of Moon) कैसे हुआ, यह हमेशा से ही शोध का विषय रहा है. अब चंद्रमा (Moon) के निर्माण को लेकर हुए नए अध्ययन में अनोखी बात सामने निकल कर आई है. एक सुपर कंप्यूटर की शक्तिशाली कम्प्यूटेशनल क्षमता का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक नया सिद्धांत लेकर आए हैं. जिसमें वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद के बनने की प्रक्रिया मात्र कुछ ही घंटों में पूरी हो गई थी. शोधकर्ताओं ने COSMA नाम के सुपर कंप्यूटर के शक्तिशाली सिम्युलेशन्स के जरिए ये रिसर्च की है.

कोडिंग की मदद से उन्होंने एक साथ सैकड़ों टकरावों को अलग-अलग एंगल से देखा. साथ ही इन टक्करों की रफ्तार, वजन, ग्रहों के चक्र आदि को भी ध्यान में रखा गया. सिम्युलेशन्स के आधार पर चंद्रमा के निर्माण (Formation of Moon) की गति और हमारे पुराने अनुमान के बीच में भारी अंतर पाया गया है.

चंद घंटों में हुआ था चंद्रमा का निर्माण

हमेशा से यही बताया गया है कि पृथ्वी के चंद्रमा का निर्माण 4.5 अरब साल पहले मंगल के आकार के थिया ग्रह (Theia) की पृथ्वी से प्रलयकारी टक्कर के बाद उसका अवशेष, पत्थर के टुकड़े भारी मात्रा में अंतरिक्ष में बिखर गया, थिया के अवशेष और पृथ्वी के मेंटल से वाष्पीकृत चट्टानें और गैसें धीरे-धीरे मिलने लगीं और एक गोलाकार आकृति बनी. यही हमारा चंद्रमा था, जो लाखों सालों तक ठंडा होता रहा. लेकिन नई अवधारणा ज्यादा बेहतर विभेदन के जरिए सुपर कंप्यूटर के हाई रिजॉल्यूशन सिम्यूलेशन्स का सुझाव है कि इसमें सिर्फ कुछ घंटे लग सकते हैं.

द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स (The Astrophysical Journal Letters) में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि चंद्रमा के बनने की प्रक्रिया बहुत ही धीमे चलने की जगह कुछ ही घंटों में पूरी हो गई थी. इंग्लैंड की डरहम यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटेशनल कॉस्मोलॉजिस्ट जैकब किगेरिस ने लाइव साइंस को बताया कि ‘हमने यही सीखा है कि इस तरह के प्रचंड और जटिल टकराव को विश्वसनीय तरकी से सिम्यूलेट करने के लिए कितने विभेदन की जरूरत होगी इसका अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है’ किगेरिस बताते हैं कि हमें केवल लगातार बढ़ते हुए विभेदन के साथ परीक्षण करते रहना होता है जब तक कि हमें अलग-अलग उत्तर मिलना बंद ना हो जाएं. वैज्ञानिकों को चंद्रमा के निर्माण के पहले संकेत अपोलो 11 अभियान से वापस आए 21.6 किलो के चंद्रमा के पत्थर और धूल से मिले थे. ये नमूने 4.5 अरब साल पुरान थे. जिसमें चंद्रमा के निर्माण (Formation of Moon) की 15 करोड़ साल के अस्थिर काल का समय पता लगा था.

चंद्रमा की सतह में पहुंचने की जरुरत

हालांकि इस तरह के नतीजों की पुष्टि के लिए अभी शोधकर्ताओं को चंद्रमा की सतह के नीचे के नमूनों के अध्ययन की जरूरत होगी. नासा के आर्टिमिस अभियानों से ऐसे नमूने हासिल करने की उम्मीद की जा रही है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सतह के ही बहुत सारे नमूने काफी मददगार हो सकते हैं. इससे चंद्रमा और पृथ्वी के इतिहास के बारे में बहुत कुछ खुलासे हो सकेंगे.

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