गोविन्द पटेल, कुशीनगर. इस समय जमीन की प्लाटिंग कर खरीदने बेचने का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है. कई जगहों पर नियमों को ताक पर रख अवैध तरीके से प्लाटिंग की जा रही है. खरीदारी करने वाले लोग बड़े पैमाने पर ठगी के शिकार होकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं और कोर्ट, कचहरी, थानों के चक्कर लगा रहे हैं. बिना अनुमति रहवासी प्लाटों की ब्रिकी का कारोबार चल रहा है. जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते हालात यह हैं कि यहां भूमाफिया न सिर्फ अवैध प्लाटिंग कर रहे, बल्कि कसाडा के अनुमति के बिना ही यहां निर्माण कार्य चल रहे हैं.

अवैध निर्माणकर्ता शासन को राजस्व का चूना लगा रहे हैं. वहीं कम कीमत में प्लाट मिलने की वजह से खरीदार भी खेती की भूमि और सरकारी भूमि में प्लाट खरीदकर ठगी का शिकार हो रहे हैं. वहीं इसको लेकर मारपीट की घटनाएं भी बढ़ गई है. मामला कसया थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 15 वीर सावरकर नगर कुशीनगर का हैं. तौसिक अहमद ने बताया कि रेड हिल्स इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्रालि में विधिक सलाहकार था. कंपनी के मालिक आलमगीर ने बताया कि गोरखपुर में प्लाट कंपनी द्वारा लिया गया हैं जिसमें मैं अपने रिश्तेदारों का प्लाट बुक कराया था, जिसमें लगभग पचास-साठ लाख रुपए जमा हुआ था, लेकिन किसी को जमीन का कब्जा नहीं दिए थे. जब भी जमीन कब्जा की बात की जाती कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देते.

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विगत 19-05-24 को कसया स्थित आफिस पर हमारे सहित कई अन्य लोग पैसे वापस करने की बात करने गए. तभी ये लोग इतने उग्र हो गए और हम लोगों पर हमला बोल लहूलुहान कर दिए. किसी तरह वहां से जान बचाकर भागे. वहीं इसकी सूचना कसया थाने पर प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की. जिस पर उन लोगों पर मुकदमा पंजीकृत हुआ है, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई. गिरफ्तारी के संबंध में क्षेत्राधिकारी कसया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जल्द दोषियों की गिरफ्तारी की जाएगी.

ऐसा होता है अवैध कारोबार का खेल

दरअसल बिल्डर, कॉलोनाइजर गांव के किसानों से कम दाम में एक लंबे समय की उधारी लेकर खेती की जमीन खरीद लेते हैं. इस जमीन पर प्लाटिंग की जाती है. इस खेती की भूमि का नहीं डायवर्सन कराया जाता है और नहीं टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से इसकी अनुमति ली जाती है. कम कीमत की वजह से प्लाट खरीदने वाले लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं.

नहीं मिलती बिजली पानी

कम कीमत के लालच में खरीदार यहां प्लाट खरीद लेते हैं. विक्रेता यहां सडक़, बिजली और पानी का वादा कर प्लाट बेच देते हैं, लेकिन बाद में इन्हें यहां ना तो बिजली मिलती है न ही पीने का पानी.

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