मोहाली : अदालत ने बर्खास्त किए गए पूर्व सहायक महानिरीक्षक (एआईजी) राजजीत सिंह हुंदल को राज्य सतर्कता ब्यूरो द्वारा उनके खिलाफ दर्ज अनुपातहीन संपत्ति के मामले में भगोड़ा अपराधी (पीओ) घोषित किया है. विजिलेंस ब्यूरो ने कहा कि वे आरोपी को गिरफ्तार करने के हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, जबकि उनके खिलाफ जांच चल रही है.
अदालत ने आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका. सुप्रीम कोर्ट पहले ही उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर चुकी है. विजिलेंस ब्यूरो ने सरकार की सिफारिश के बाद 20 अप्रैल को आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था. सरकार ने यह कार्रवाई विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा अदालत में पेश की गई तीन रिपोर्टों के निष्कर्षों के बाद की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राजजीत ने 2013 से एसएसपी के रूप में तरनतारन में तैनात रहने के दौरान बड़ी संपत्ति अर्जित की थी.
राजजीत को पंजाब सरकार ने ड्रग तस्करों के साथ मिलीभगत करने, निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाने और इस पद पर रहते हुए एक अन्य पुलिस अधिकारी इंद्रजीत सिंह के साथ मिलकर जबरन वसूली का रैकेट चलाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया था. 2023 में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि बर्खास्त किए गए एआईजी और उनकी पत्नी के खाते में पिछले सात सालों में 13 करोड़ रुपये के लेन-देन की सूचना मिली है. पंजाब सरकार ने कहा कि यह लेन-देन 2016 से 2022 के बीच हुआ है, जबकि उनका वेतन करीब 74.21 लाख रुपये है और उन्हें इन लेन-देन के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा. 2017 में राजजीत को ड्रग तस्करी के एक मामले में भगोड़ा घोषित किया गया था.
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