सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की हुई मौत से सियासत गरमा गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर अपनी ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस मामले को जानवरों से क्रूरता बताते हुए दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही बीजेपी पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने कहा- कूनो में तीसरे चीते की मौत दरअसल प्रशासनिक हत्या है. केवल राजनीतिक प्रदर्शन के लिए जो भाजपाई मजमा खड़ा किया था, उसका ये दायित्व भी बनता था कि विदेशी चीतों को बीमारी व आपसी संघर्ष से मुक्त सुरक्षित माहौल दे।
तीसरे चीते की हुई है मौत
दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की कूनो नेशनल पार्क में मौत हुई है। इस प्रकार अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है। जानकारी के अनुसार चीतों के बाड़े में हुई आपसी लड़ाई में मादा चीता दक्षा की जान गई है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका से लाए दो चीतों की मौत बीमारी से हुई थी। दरअसल, दक्षा के बाड़े में वायु और अग्नि चीतों को रखा गया था। लेकिन, नर चीते हिंसक हो गए थे।
दो चीतों की पहले ही हो चुकी है मौत
कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों की मौत हो चुकी है। बीमारी के कारण साशा और उदय की मौत हुई थी। इन दोनों चीतों को सितंबर 2022 में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। 27 मार्च को पहले और 23 अप्रैल को दूसरे चीते की मौत हुई। महज 40 दिनों के भीतर तीसरे चीते की मौत हुई है। इसी पर अखिलेश यादव ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है।
श्योपुर के प्रभारी मंत्री भारत सिंह कुशवाह का बयान
72 साल पहले विलुप्त हुए चीतों को भारत की धरती पर बसाने का काम हमारे पीएम मोदी CM शिवराज ने किया है। अब यदि कोई बीमारी के कारण चीतों की मौत हो रही है तो विशेषज्ञों की टीम इस बात का परीक्षण कर रही हैं। कौन सी बीमारी की वजह से चीतों की मौत हुई है उस पर कैसे कंट्रोल किया जाए। सरकार पूरी तरह से इस पर नजर बनाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रभारी मंत्री होने के नाते स्थानीय प्रशासन से बात हुई है, इस बात की खोजबीन की जा रही है कि किस बीमारी की वजह से हमारे चीतों की मौत हुई है। यदि और चीतों को लाने की आवश्यकता होगी तो देश प्रदेश की खुशहाली, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किया जाएगा। चीतों के पुनर्विस्थापन के लिए हम संकल्पित है। हमारा प्रयास रहेगा कि कोई भी बीमारी के कारण हमारे चीतों की मौत ना हो। विशेषज्ञ इस बात का परीक्षण कर रहे हैं कि क्या दिक्कत रही है। चीतों के दूसरी जगह विस्थापन को लेकर कहा कि परीक्षण के बाद जो जानकारी सामने आएगी तभी चीतों के विस्थापन को लेकर कुछ कहा जा सकता है।
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