राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को पत्र लिखकर समर्थन मूल्य पर खरीदी नीति बदलने के पहले से किसानों से चर्चा करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि खरीदी के मापदंड बदले गए तो किसानों को निराशा होगी और उनमें रोष व्याप्त होगा।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार के तुगलकी फरमान से एक बार फिर पूरे देश में करोड़ों किसानों की बर्बादी होने जा रही है। किसानों के महीनों चले आंदोलन के बाद आपने तीन कृषि कानून वापस लेकर जो राहत दी थी, उस पर अफसरशाही पानी फेर रही है।
भारत सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सहमति के बाद भारतीय खाद्य निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू, चावल और धान की खरीदी के नियम बदलने जा रही है। इन नियमों के इस वित्तीय वर्ष 2022-23 से लागू किये जाने की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
भारतीय खाद्य निगम आगामी रबी और खरीफ मौसम में खरीदे जाने वाले गेहूं, धान की फसलों के मापदंड बदल रही है। सिर्फ विदेशों में उच्च गुणवत्ता के माल सप्लाई करने के नाम पर किसानों से जो धान, गेहूं खरीदा जायेगा उसमें कई तरह के परिवर्तन प्रस्तावित है। जैसे गेहूं में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से घटाकर 12 और धान में 17 से घटाकर 16 की जा रही है। इसी प्रकार गेहूं, कंकड़, पत्थर की मात्रा पहले 75 प्रतिशत थी, जो अब 50 प्रतिशत की जा रही है। धान में यह मात्रा 2 प्रतिशत की जगह 1 प्रतिशत प्रस्तावित है। यही नहीं गेहूं की फसल में जो अन्य फसलों के दाने आ जाते थे, उसकी मात्रा भी 2 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत की जा रही है।
इसी प्रकार गेहूं, चावल की फसल में जो दाने सिकुड़ जाते थे उस दर को भी 3 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया जा रहा है। पहले क्षतिग्रस्त या टूट जाने वाले दानों की मात्रा 5 प्रतिशत तक स्वीकार होती थी, जो अब घटाकर 3 प्रतिशत की जा रही है। यही नहीं पहले धान खोखला होने या कीड़ा लगने पर 2 रुपए प्रति क्विंटल की कटौती होती थी। अब इस तरह की फसल रिजेक्ट कर दी जायेगी। देश के 15 करोड़ से अधिक गेहूं और धान का उत्पादन करने वाले किसान इसकी चपेट में आयेंगे और उन्हें अपनी फसल खुले बाजार में औने-पौने दाम में बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा।
एक तरफ आप 2014 से देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कर रहे थे जो 2022 तक आते-आते सब्जबाग रूपी दु:स्वपन में बदलती जा रही है। डीजल, खाद्य व बिजली की बढ़ी कीमतों के कारण किसानों की लागत बढ़ती जा रही है और उपज के दाम कम होते जा रहे हैं। आमदनी बढऩे की जगह घटने लगी है। केन्द्र सरकार के इस फरमान से किसान परेशान हो जायेंगे और खरीदी केन्द्रों पर अपनी फसल लेकर भटकते रहेंगे।
जानकारी के अनुसार भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने विश्व स्तर का खाद्यान खरीदने के लिये नये मापदंड और नीति बनाने के लिये भारतीय खाद्य निगम के चैयरमेन आई.ए.एस. अधिकारी की अध्यक्षता में एक नौकरशाहों की कमेटी गत वर्ष 8 फरवरी 2021 को गठित कर दी। जिसमें अलग-अलग संस्थानों के 13 अधिकारी रखे गये। इन कथित कृषि विशेषज्ञों के 18 फरवरी, 26 फरवरी और 17 मार्च 2021 को सिर्फ 3 बैंठके करके देश के 15 करोड़ छोटे-बड़े, अगड़े-पिछड़े, लघु-सीमांत और गरीब किसानों की आय कटघरे में खड़ी कर दी। किसानों की मुफीद कहे जाने वाली नीति में ही किसान विरोधी परिवर्तन प्रस्तावित कर दिये है। यह परिवर्तन किसानों को बहुत बड़ी परेशानी में डालने वाले है।
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