देहरादून. पूर्व सीएम हरीश रावत ने धामी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने सरकार पर सदन में झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उन्होंने एक वाक्या सोशल मीडिया पर साझा किया है. रावत ने लिखा है कि ‘रजत जयंती के अवसर पर आहूत विधानसभा के विशेष सत्र में सदन के पटल पर झूठ बोलकर महापाप करने वालों को राज्य माफ नहीं करेगा, जो लोग हेमवती नंदन बहुगुणा जी को मुख्यमंत्री पद से हटाने का कैंपेन चलाने के लिए नारायण दत्त तिवारी को नमक चबा-चबाकर कोसते रहते थे, आज वही लोग मेरा विरोध करने के लिए उनके नाम का सहारा ले रहे हैं और उसके लिए निरपट झूठ गढ़ रहे हैं और विधानसभा के पटल पर झूठ बोल रहे हैं. 2007 में पूरी पार्टी और पूरी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि नारायण दत्त तिवारी चुनाव लड़ें और चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करें. मुख्यमंत्री होने के नाते यह अपेक्षा करना स्वाभाविक था.’

रावत ने आगे लिखा कि ‘जब तिवारी, केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में नहीं पहुंचे और उन्होंने चुनाव लड़ने से अपनी असमर्थता जताने का संदेश इंदिरा हृदयेश के हाथ भेजा और पार्टी से यह आग्रह किया कि उनके स्थान पर सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रही इंदिरा हृदयेश को भाग लेने दिया जाए और उनके सुझाव को तिवारी का सुझाव माना जाए. पार्टी नेतृत्व ने इंदिरा हृदयेश को सीईसी की बैठक में बैठने की अनुमति देकर पहली बार किसी ऐसे व्यक्ति को जो CEC का सदस्य नहीं है, न नेता प्रतिपक्ष और न पीसीसी प्रेसिडेंट है उनको चुनाव समिति की बैठक में भाग लेने दिया और CEC ने तिवारी जी को CEC की बैठक में पार्टी नेतृत्व ने मोतीलाल वोरा और इंदिरा हृदयेश को देहरादून भेजकर तिवारी जी को सीईसी की बैठक में भाग लेने, स्वयं चुनाव लड़ने और चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए तैयार करने का उत्तरदायित्व सौंपा. मोतीलाल वोरा और हृदयेश देहरादून आई और दो बार तिवारी जी से मिले. तिवारी जी ने उनको एक लिस्ट सौंपी 70 सीटों पर 70 उम्मीदवारों की और कहा मेरी ओर से इंदिरा हृदयेश चुनाव समिति में मेरे दायित्व को पूरा करेंगी.’

इसे भी पढ़ें : पोल खुल गई! उत्तराखंड और बिहार में भाजपा नेता ने की वोटिंग, वोट चोरी को लेकर पूर्व CM रावत का चौंकाने वाला खुलासा

रावत ने आगे लिखा कि ‘चुनाव समिति द्वारा 70 सीटों के उम्मीदवार तय करने के एक दिन बाद नारायण दत्त तिवारी के विशेष आग्रह पर चार सीटों पर नए उम्मीदवार दिए गए तो इसलिए कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाना पूरी तरीके से अनुचित और असत्य है कि तिवारी जी को 2007 में चुनाव लड़ने से रोका गया. इस असत्य का सहारा वह पार्टी ले रही है जिसने तिवारी सरकार पर 21 भ्रष्टाचार और अनियमितता के सार्वजनिक आरोप लगाए और आरोप पत्र को राज्यपाल और राष्ट्रपति महोदय को भेजा. यदि विधानसभा की कारवाई देखी जाए तो तिवारी जी और उनकी सरकार के लिए किस तरीके के शब्दों का उपयोग कर सरकार की आलोचना की गई है, उसको देखा जा सकता है. ये सत्य है कि तिवारी जी ने चुनाव अभियान में भाग नहीं लिया. सिर्फ घोषणा पत्र जारी करते वक्त वह आए. खैर शेष सब इतिहास है कि किस तरीके और किस वक्त मकान खाली किया, लेकिन इस काम में किसी भी प्रकार से कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई दबाव नहीं था. हमारे लिए तो उस समय उस सेना जैसी स्थिति थी जिसके सेनापति ने 5 साल नेतृत्व किया और रणभूमि में उतरने से पहले अपना आवास ही खाली कर दिया. भगवान बद्रीश, केदारनाथ व जगन्नाथ जी की कृपा है कि ऐसे कठिन समय में भी पार्टी ने मजबूत प्रदर्शन कर भाजपा को अपने बलबूते पर सरकार बनाने से रोका’.