• 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले लेकिन सिर्फ 109 सीटें ही मिलीं. कांग्रेस के खाते में 114 सीटें आई हैं.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को भोपाल स्थित सीएम हाउस में अपनी बुधनी विधानसभा के कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात की. बुधनी सीट से विधायक शिवराज ने यहां इशारों-इशारों में कहा कि हो सकता है कि राज्य में बीजेपी सरकार की वापसी को पूरे पांच साल भी न लगें. पूर्व सीएम का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है.

शिवराज सिंह चौहान ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस डोम (पंडाल) में यह आखिरी कार्यक्रम है.’ यह सुनते ही वहां बैठी महिला कार्यकर्ता ऊंचे स्वर में कहती हैं, ”भैया, पांच साल बाद फिर आएंगे.” इस पर तपाक से पूर्व सीएम बोलते हैं, ”हो सकता है पांच (साल) भी पूरे न लगें.”

बीजेपी विधायक ने अपने भाषण में आगे कहा, ‘यह सीएम हाउस मैंने सिर्फ सीएम के लिए नहीं रहने दिया था बल्कि इसको मैंने जनता का हाउस बना दिया था. इस डोम में जन्माष्टमी, क्षमावाणी, क्रिसमस, प्रकाशोत्सव, झूलेलाल जयंती समेत हर धर्म के कार्यक्रम संपन्न हुए.’

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फैसलों का गवाह है डोम

पूर्व सीएम ने कहा, ”इसी पंडाल में मैंने पंचायतें करके जनता के हित में कई फैसले किए. दुनिया में उन फैसलों की मिसाल वर्षों तक लोग ढूंढ नहीं पाएंगे. सीएम हाउस जनता के कल्याण का केंद्र था. यह पंडाल मध्य प्रदेश के विकास के कई फैसलों का साक्षी रहा है.” दरअसल, सीएम हाउस में बने इस पंडाल में मुख्यमंत्री रहते शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणाएं कर चुके हैं. CM भले ही नहीं बन सके, पर शिवराज सिंह चौहान ने तोड़ डाला 38 साल पुराना मिथक

कांग्रेस ने बनाई सरकार

बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले लेकिन सिर्फ 109 सीटें ही मिलीं. कांग्रेस के खाते में 114 सीटें आई हैं. जबकि एमपी में 230 विधानसभा सीटें है और बहुमत के लिए 116 विधायकों की जरूरत होती है. सरकार बनाने वाली कांग्रेस को 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. राज्यपाल आनंदीबेन ने कमलनाथ को सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. CM की कुर्सी से उतरते ही शिवराज सिंह चौहान बन गए ‘द कॉमन मैन ऑफ मध्य प्रदेश’

शिवराज ने जीत बरकरार रखी

1990 के बाद 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा सीट से विजयी हुए, नतीजन उन्हीं के नेतृत्व में बीजेपी ने सरकार बनाई. वहीं, 2013 में दोबारा शिवराज बुधनी से जीते और सरकार में कायम रहे.

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष से था मुकाबला

इस बार 2018 के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से था. इस चुनाव में यादव को शिवराज ने करीब 58 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी. मगर राज्य में बीजेपी 116 का जादुई आंकड़ा पार नहीं कर पाई, इसलिए शिवराज चौथी बार सूबे के मुखिया नहीं बन सके.