पंकज सिंह भदौरिया,दन्तेवाड़ा. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संकेत ठाकुर आज दंतेवाड़ा दौरे पर है. उन्होंने वहां एक प्रेस कांफ्रेंस कर एक बार फिर से पूर्व कलेक्टर और भाजपा नेता ओपी चौधरी को घेरे में लिया है. उन्होंने ओपी चौधरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए  जमीन अदला बदली पर कई तरह के साक्ष्यों और सबूतों के साथ भ्रष्टाचार करना बताया है. जिला पंचायत से परिसर की भूमि अदला-बदली के मामले में पूरी की पूरी प्रक्रिया ही गलत थी.

उन्होंने आगे कहा कि 5 सितंबर 2018 को प्रदेश प्रभारी गोपाल राय ने ओपी चौधरी का खुलासा किया था. जिसका केंद्र दन्तेवाड़ा में जमीन अदला बदली रहा है. 14 सितंबर 2016 को हाई कोर्ट की डबल बेंच में चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता के साथ फैसला आया था. फैसले में दन्तेवाड़ा के जिला पंचायत परिसर से लगी निजी भूमि थी और उसके बदले में शासकीय व्यवसायिक भूमि जो प्रशिक्षण के पास है. इस मामले में हाइकोर्ट ने आदेश दिया था. कि ये पूरी प्रक्रिया गलत है. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जांच कर मामले से जुड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की भी बात कही थी. इस मामले में कलेक्टर, तहसीलदार, एसडीएम, पटवारी, रेवन्य अधिकारी इस प्रकरण में सभी को कोर्ट ने दोषी बताते हुए 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

संकेत ने पूरी प्रक्रिया को बताया गलत

इस दौरान आप के संयोजक संकेत ठाकुर ने जमीन अदला बदली प्रक्रिया में कागजों को दिखाते हुए बताते की आवेदक साहूल हामिद के एक 2 मार्च 2013 के महज आवेदन पर आवेदन पर दी गयी जमीन को सागौन के पेड़, गटर और कब्जा बताते हुए. जमीन काम के लायक नहीं है. बदले में मुझे दूसरी जगह जमीन दी जाए. तात्कालिक कलेक्टर ने मात्र 20 दिनों में प्रक्रिया, आदेश और निवेदन भी कर देता है. 24 मार्च 2013 को आदेश भी जारी कर दिया जाता है. कि आवेदक साहूल हमीद को नमक के बदले चिरौंजी की तरह बेशकीमती जमीन दे दी जाये.

 3.67 एकड़ के बदले 5.7 एकड़ भूमि चार हिस्सो में बांट दी

आम आदमी पार्टी ने बताआ कि 2 सालों में राज्य सरकार ने कोई जांच कमेटी बनाई या नहीं बनाई ये सब गोपनीय रखा गया. मार्च 2012 में 4 लोगों के एक आवेदन पर कलेक्टर ने व्यवसायिक और महत्व की भूमि दे दी. इन 2 सालों में तात्कालिक कलेक्टर ओपी चौधरी की कई भूमिकाये रही. 3.67 एकड़ के बदले 5.7 एकड़ भूमि निजी लोगों को बांट दी. इस मामले में देव सेनापति भी ठीक से जांच नहीं कर पाये और प्रक्रिया पर दस्तक कर जमीन दे दी. आदिवासियों ने जब मामले को हाईकोर्ट के सज्ञान में लाया तब जाकर इसका खुलासा हुआ.