रायपुर- छत्तीसगढ़ में कभी बीजेपी के बड़े आदिवासी चेहरे रहे पूर्व गृहमंत्री ननरीकाम कंवर ने एक बार फिर प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व की मांग की है. कंवर ने कहा है कि आदिवासी मंत्री जब जब प्रदेश में अपराध कम कर सकता है, तो फिर नेतृत्व क्यों नहीं कर सकता. उन्होंने कहा जो योग्य हैं, उन्हें नेतृत्व दिया जाना चाहिए. कई आदिवासी नेता भी योग्य हैं.

कंवर बीजेपी के पहले ऐसे आदिवासी नेता नहीं है, जिन्होंने प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व की मांग की हो. इससे पहले संगठन के वरिष्ठ नेता और मौजूदा दौर में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने भी समय-समय पर आदिवासी नेतृत्व की आवाज बुलंद की है. ननकीराम कंवर ने आदिवासी नेतृत्व की मांग करते हुए ये सवाल भी उठाया है कि आखिर क्यों प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व की आवाज नहीं उठाई जानी चाहिए.

पूर्व गृहमंत्री बीते दिनों दिल्ली में थे और उनकी कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने की थी. लेकिन ना तो मोदी से मुलाकात हो पाई और ना ही अमित शाह मिले. हालांकि बताया जा रहा है कि ननकी राम कंवर सोमवार को दोबारा दिल्ली जाएंगे और अमित शाह से उनकी मुलाकात होगी. दिल्ली दौरे के दौरान कंवर ने तीन केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की है, जिनमें नितिन गडकरी, फग्गन सिंह कुलस्ते और नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हैं, हालांकि केंद्रीय मंत्रियों से हुई चर्चा का ब्यौरा देने से कंवर ने परहेज किया.

 

गायों की मौत पर सरकार की गलती- कंवर

 

दुर्ग और बेमेतरा जिले की तीन गौशालाओं में पांच सौ से ज्यादा गायों की मौत मामले में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कहा कि मिनिस्ट रहते हुए मैंने जितनी गायों को बचाया होगा उतना किसी और ने नही किया है. जब तक गाय को पर्याप्त चारा नहीं मिलेगा, उचित देखभाल की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक ऐसे मामले सामने आते रहेंगे. शहरों में गायों को गौशालाओं में रखा जा रहा है. चारागाह नहीं है. गांवों में भी चारागाह सिमट रहे हैं. हम भी अपनी गायों को जंगल में रख रहे हैं. कंवर ने कहा कि गायों की मौत पर गलती हम सबकी है, लेकिन सबसे ज्यादा गलती सरकार की है. उन्होंने कहा कि कुछ वक्त पहले ही दवा खरीदी के संबंध में उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र भेजा था, जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. कंवर ने कहा कि जब मैं मंत्री था, तब भी दवा खरीदी की जाती थी, लेकिन पर्याप्त स्टाॅक रखा जाता था. आज दवा खरीदी होती है, लेकिन जिम्मेदारों को ये नहीं पता रहता कि दवा आई भी है या नहीं. टेंडर जारी हो गया. इसके बाद किसी का ध्यान नहीं होता.