नवादा। बिहार की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब नवादा से जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व विधायक कौशल यादव ने खुले मंच से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल होने की घोषणा की। यादव ने बताया कि वह दो से तीन दिनों के भीतर पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होने की तारीख की घोषणा करेंगे।

अब युवाओं की बारी

राजनीतिक मंच से बोलते हुए कौशल यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव अब थक चुके हैं और बिहार को नई ऊर्जा और नई सोच की जरूरत है। उन्होंने कहा,अब बिहार में नौजवानों का समय आ गया है।

तेजस्वी को जिताने का दावा


आरजेडी में अपनी भूमिका को लेकर पूछे जाने पर कौशल यादव ने स्पष्ट किया कि वह नवादा जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर आरजेडी को जिताकर तेजस्वी यादव को सौंपेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग लालू यादव और तेजस्वी यादव को बदनाम करते हैं, ऐसे लोगों को वह साथ नहीं लाएंगे।

कोई गलत फैसला नहीं होगा

यादव ने सभी जातियों और समाज को साथ लेकर चलने का भरोसा दिलाया और कहा कि उनके नेतृत्व में नवादा में कोई गलत फैसला नहीं होगा।


नीतीश के करीबी रहे, अब आरोपों की बौछार


कौशल यादव पिछले दो दशकों से नीतीश कुमार के विश्वसनीय नेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने अपने पुराने सहयोगी और पूर्व एमएलसी सलमान रागीव मुन्ना का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुन्ना ने हर चुनाव में नीतीश कुमार को हजारों वोट दिलवाए, लेकिन एमएलसी चुनाव में उन्हें हराने की साजिश रची गई। यादव ने आरोप लगाया कि मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिए जाने पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए, जबकि सलमान रागीव ने मुस्लिम समुदाय का मजबूत समर्थन दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना

केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कौशल यादव ने कहा कि महादलित परिवारों के साथ गंभीर भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन परिवारों को मात्र 4 किलो चावल देकर उन्हें भूखा रखने की साजिश रची जा रही है, जिससे वे अपने बच्चों को शिक्षित कर नौकरी दिलाने की स्थिति में नहीं रहेंगे।

अंबेडकर के विचारों का हवाला

अपने भाषण के अंत में कौशल यादव ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा,जब तक सरकार चलाने वाला अच्छा नहीं होगा, तब तक जनता को वास्तविक लाभ नहीं मिल सकता। उनके इस बयान को राजनीतिक गलियारों में गहराई से देखा जा रहा है और इसे एक नई राजनीतिक बहस की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।