महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को सीएम की कुर्सी के साथ विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी. जिसके बाद राजनीतिक गलियारे में प्रतिक्रियाओं की झरी लग गई है. पिछले करीब 10 दिनों से चल रहे महाराष्ट्र के महाड्रामे के एक अध्याय का अंत सीएम के इस्तीफे के बाद हो गया. इस घटना को लेकर झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसा है.

घटनाक्रम को लेकर उन्होंने ट्वीट किया कि-

”महाराष्ट्र में जिस तरीके से उद्धव ठाकरे सरकार का पतन हुआ उससे यह साबित हो गया है कि लोकतंत्र में किसी राजनैतिक पार्टी को पूर्वजों की विरासत बनाकर राजशाही हुकूमत की तरह मनमाने तरीके से बहुत दिनों तक नहीं चलाया जा सकता.
राजा का बेटा राजा, पोता के राजकुमार बनने के दिन लद रहे हैं”.

मुझे इस्तीफा देने का कोई दुख नहीं – उद्धव

पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे की चर्चा पूरे देश में थी. अब सीएम उद्धव के इस्तीफे के बाद नई सरकार बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. बुधवार को स्तीफे से पहले उद्धव ठाकरे ने फेसबुक के जरिए संबोधन दिया था. जिसमें उद्धव ने साफ कर दिया था कि उन्हें फ्लोर टेस्ट से कोई मतलब नहीं है, ना ही उन्हें इस्तीफा देने का कोई दुख है.

सब पाप मेरा है- उद्धव

उद्धव ने एकनाथ शिंदे को लेकर कहा था कि जिसे शिवसेना ने राजनीति में जन्म दिया, जिन्हें शिवसेना प्रमुख ने बड़ा किया, उस शिवसेना प्रमुक के बेटे को राजनीति से हटान का पुण्य अगर उन्हें मिल रहा है तो मिलने दो. सब पाप मेरा है उसका फल भोगना ही पड़ेगा. कल वे गर्व और अभिमान के साथ कहेंगे कि शिवसेना प्रमुख ने हमें यहां तक पहुंचाया लेकिन उनके बेटे को हमने हटा दिया. ये पुण्य उनको मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिया इस्तीफा

बता दें राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. लेकिन कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. साथ ही उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.

इसे भी पढ़ें : महाराष्ट्र सियासत, फडणवीस सीएम तो एकनाथ शिंदे होंगे डिप्टी सीएम, जानिए कितनों को मिलेगी मंत्रिमंडल में जगह…