रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने को-वैक्सीन टीकाकरण को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के रवैए को अड़ियल बताया है. चंद्राकर ने कहा कि जिस को-वैक्सीन के लिए दुनियाभर के देश भारत से विश्वासपूर्वक आग्रह कर रहे हैं, सत्ता के अहंकार में चूर प्रदेश सरकार और उसके स्वास्थ्य मंत्री उसे लेकर अपने राजनीतिक दुराग्रह का निकृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री चंद्राकर ने कहा कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन अवधि में केंद्र सरकार के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करके झूठ और नफ़रत फैलाने में लगी रही प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मंत्री सिंहदेव अब को-वैक्सीन की 71.5 हज़ार ख़ुराक़ को कोल्ड स्टोरेज में डम्प कर अपने प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य से शर्मनाक खिलवाड़ करने पर उतारू है. यह प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता का प्रमाण है. तमाम वैज्ञानिक और औषधीय परीक्षणों के बाद भारत ने कोरोना को मात देने के लिए इन दवाओं का प्रयोग शुरू किया है, उसे लेकर प्रदेश सरकार और उसके स्वास्थ्य मंत्री का झूठा भ्रम फैलाने वाला अड़ियल रवैया अक्षम्य है.
चंद्राकर ने सवाल किया कि प्रदेश में हर मोर्चे पर बुरी तरह मात खाकर विफल सिद्ध हो चुकी कांग्रेस सरकार आख़िर किस आधार पर को-वैक्सीन का उपयोग रोके बैठी है? अपने निकम्मेपन और नाकारापन की मिसाल बन चुकी कांग्रेस सरकार को केंद्र सरकार और वैज्ञानिकों के उपलब्धिपूर्ण सफल परीक्षणों को चुनौती देकर अपना अहंकारपूर्ण दुराग्रह प्रदेश पर थोपकर जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है. महज़ स्वास्थ्य मंत्री हो जाने से सिंहदेव की सोच वैज्ञानिकों से ऊपर नहीं हो सकती और किसी को भी वैज्ञानिकों की प्रतिभा के अपमान और मनोबल तोड़ने की इज़ाज़त नहीं दी जा सकती.
कोरोना संकट के मुक़ाबले में प्रदेश सरकार शुरू से ही फिसड्डी साबित हुई है. अपने आपको ज़िम्मेदार मानने की ग़लतफ़हमी पाले बैठी प्रदेश सरकार और उसके स्वास्थ्य मंत्री के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना आचरण ने पूरे प्रदेश को कोरोना संक्रमण के गर्त में धकेल दिया जिसने प्रदेश के लाखों लोगों की ज़िंदगी दाँव पर लगा दी और हज़ारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. कोरोना की रोकथाम की रणनीतिक तैयारियों में भी यह सरकार लापरवाह रही और क्वारेंटाइन सेंटर हो या उपचार के लिए कोविड सेंटर, प्रदेशभर में अव्यवस्था का आलम चिह्नित और उपचाररत मरीजों के लिए सरकारी आपदा से कम नहीं था. न क्वारेंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों की सुरक्षा और सुविधाओं के पुख़्ता इंतज़ाम थे और न ही कोविड सेंटर में उपचार करा रहे मरीजों के भोजन-पानी, ऑक्सीजन, दवा आदि की व्यवस्था थी.
विषैले जीव-जंतुओं और सरकारी बदइंतज़ामी ने इन सेंटर्स को नारकीय यंत्रणा का केंद्र बना रखा था जहाँ रखे गए और उपचार करा रहे मरीज आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे थे और प्रदेश सरकार सियासी नौटंकियों में मशगूल होकर अपने निकम्मेपन का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़कर मिथ्या प्रलाप कर रही थी. चंद्राकर ने कहा कि ऐसी संवेदनहीन और लापरवाह सरकार अपने अपराध-बोध के चलते अब को-वैक्सीन को लेकर झूठ और नफ़रत का नया प्रपंच रचने में लगी है.