संजीव शर्मा, कोंडागांव. नेताओं को अक्सर राजनीतिक मंचों पर भाषण देते देखा जाता है, लेकिन जब वह खुद खेतों में उतरकर मजदूरों के साथ पसीना बहाए, तो दृश्य अपने आप में खास बन जाता है. ऐसा ही नजारा इन दिनों केशकाल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम के खेतों में देखने को मिल रहा है.

धान की कटाई-मिंजाई के सीजन में पूर्व एमएलए नेताम अपने पारंपरिक देसी अंदाज में कांधे पर धान के भारे उठाकर खेतों से घर तक ला रहे हैं. साथ ही खुद थ्रेसर मशीन चलाकर मिंजाई भी करते नजर आए. उनकी यह सादगी और मेहनतकश छवि गांव-गांव में चर्चा का विषय बनी हुई है.

खेती ही आय का मुख्य स्त्रोत 

पूर्व विधायक संतराम नेताम ने कहा कि राजनीति में आने से पहले से ही वह खेती किसानी करते आ रहे हैं. विधायक रहते हुए भी खेती से उनका नाता कभी नहीं टूटा. आज भी वह किसान हैं. यही उनका पेशा और आय का प्रमुख स्रोत है.

उन्होंने आगे कहा कि खेती ही उनकी पहली पाठशाला रही है. यही से उन्होंने जीवन और श्रम का असली अर्थ सीखा. नेताम ने युवाओं से भी खेती-बाड़ी की ओर रुझान बढ़ाने की अपील की. उनका कहना है कि आज की पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनने के लिए खेती को अपनाना चाहिए. इसमें परिश्रम तो है, लेकिन यही धरती मां हमें जीवन देती है. 

अपन खेती अपन सेती : संतराम नेताम

जब उनसे पूछा गया कि एक पूर्व विधायक होकर भी वे खुद खेतों में काम क्यों कर रहे हैं, तो वह मुस्कराते हुए बोले कि अपन खेती अपन सेती.

प्रदेश में 1 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ होने वाली है, और किसान अपनी फसल को बेचने की तैयारी में जुटे हैं. इसी कड़ी में संतराम नेताम भी खेत में पसीना बहाकर आने वाले सीजन की तैयारी में लग गए हैं. उनका यह देसी अंदाज न सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र में एक मिसाल बन रहा है, बल्कि यह संदेश भी दे रहा है कि धरती से जुड़ा हुआ व्यक्ति कभी अपनी जड़ों को नहीं भूलता.